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रोहिणी कमीशन ने राष्ट्रपति को सौंपी ओबीसी आरक्षण पर अपनी रिपोर्ट, दिया ये सुझाव

Rohini Commission

Rohini Commission

नई दिल्ली। ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) के वर्गीकरण को लेकर गठित रोहिणी कमीशन (Rohini Commission) ने अपनी रिपोर्ट आखिरकार सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी। केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्रालय ने बयान जारी करके इसकी जानकारी दी है। दिल्ली हाईकोर्ट की रिटार्यड जज जी रोहिणी की अगुवाई में चार सदस्यीय कमीशन का गठन 2017 में हुआ था। इस तरह रोहिणी कमीशन को अपनी रिपोर्ट सौंपने में छह साल लग गए। हालांकि, रोहिणी कमीशन की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन सूत्रों की मानें तो 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण को तीन से चार हिस्सों में बांटने की सिफारिश की गई है।

रोहिणी कमीशन (Rohini Commission) क्यों बना?

मंडल कमीशन को लागू किए जाने के बाद देश की ओबीसी जातियों को आरक्षण के दायरे में लाया गया था। ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण निर्धारित किया गया था, लेकिन आरक्षण लागू होने के बाद भी ओबीसी की बहुत सारी जातियां आरक्षण के लाभ से वंचित रह रही थीं। ऐसे में ओबीसी में शामिल जातियों में आरक्षण का समान लाभ पहुंचाने के लिए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने साल 2015 में ओबीसी आरक्षण को तीन हिस्सों में बांटने सिफारिश की थी। इसके बाद ही केंद्र की मोदी सरकार ने ओबीसी आरक्षण के आंकलन और उसके लाभ को लेकर अक्टूबर 2017 में रोहिणी कमीशन का गठन किया गया था।

छह साल के बाद आयोग ने रिपोर्ट सौंपी

रोहिणी कमीशन (Rohini Commission) के कार्यकाल को 2017 से लेकर अभी तक 13 बार एक्टेंशन दिया गया है, लेकिन अब छह साल के बाद कहीं जाकर आयोग ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी है। इसके साथ ही सभी की निगाहें मोदी सरकार पर टिकी हैं कि क्या रोहिणी कमीशन (Rohini Commission) की सिफारिशों को सरकार लागू करेगी? इसकी वजह है कि ओबीसी का 27 फीसदी आरक्षण अभी तक समान रूप से लागू था, लेकिन रोहिणी कमीशन ने उसे वर्गीकरण करने सिफारिश की है।

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सूत्रों की मानें तो कमीशन 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण को तीन या चार श्रेणी में बांटने के सुझाव दिए हैं। इतना ही नहीं केंद्र की ओबीसी लिस्ट में उन ओबीसी जातियों को भी शामिल करने की सिफारिश की गई है, जिन्हें राज्यों में ओबीसी का दर्जा था, लेकिन केंद्र लिस्ट से बाहर थे। ओबीसी आरक्षण को तीन या चार श्रेणी में बांटने के पीछे का तर्क है कि जिन ओबीसी जातियां आरक्षण के लाभ से वंचित हैं, उन्हें आरक्षण का फायदा मिल सके।

आरक्षण का किसे फायदा और किसे नहीं

देश में ओबीसी में 2633 जातियां शामिल हैं। सूत्रों के मुताबित रोहिणी कमीशन ने ओबीसी आरक्षण का अध्ययन करते हुए पाया है कि ओबीसी में शामिल जातियों में से करीब एक हजार जातियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिला है। आरक्षण का लाभ कुछ चुनिंदा ओबीसी जातियों को ही मिलता रहा है। पिछले तीन दशक में ओबीसी के 50 फीसदी आरक्षण का लाभ 48 जातियों को मिला है और 70 फीसदी आरक्षण का लाभ करीब साढ़े पांच सौ जातियों ने फायदा उठाया है। इसी मद्देनजर रोहिणी कमीशन ने ओबीसी के आरक्षण को श्रेणी में बांटने का सुझाव दिया है। हालांकि, ओबीसी की जिन एक हजार जातियां आरक्षण से वंचित रही है, उनकी आबादी ओबीसी के लाभ पाने वाली जातियों से बहुत कम है।

रोहिणी कमीशन (Rohini Commission) ने दिया आरक्षण बंटवारे का सुझाव

सूत्रों की माने तो रोहिणी कमीशन (Rohini Commission) ने ओबीसी आरक्षण के बंटवारे के लिए वर्गीकरण का सुझाव दिया है, उसमें 27 फीसदी आरक्षण को तीन या चार हिस्सों में बांटकर ओबीसी की वंचित रहने वाली जातियों को लाभ के दायरे में लाया जाए। इसके लिए उन्होंने पहला सुझाव यह दिया है कि ओबीसी को 3 हिस्सों में बांटा जाए, जिसमें आरक्षण के लाभ से वंचित रहने वाली जातियों को 10 फीसदी आरक्षण दिया जाए और बाकी 17 फीसदी हिस्से को दो श्रेणी में बांट दिया जाए। इसके बाद दूसरा सुझाव दिया है कि ओबीसी के आरक्षण को चार हिस्सों में बांटने की बात है, जिसमें कम से अधिक फायदा पाने वाली ओबीसी जातियों को क्रमश रखा जाए, जिसमें 10, 9, 6 और 2 फीसदी आरक्षण के सुझाव दिए गए हैं।

27 फीसदी आरक्षण का फायदा किसे मिला

बता दें कि मंडल कमीशन के लागू होने से 27 फीसदी आरक्षण ओबीसी के लिए निर्धारित किया गया था। 26 ओबीसी आरक्षण का फायदा मिलने का जिन पिछड़ी जातियों पर आरोप लगते हैं, उनमें कुर्मी, यादव, मौर्य, जाट, गुर्जर, लोध, माली जैसी जातियां हैं तो दक्षिण में भी ओबीसी की कुछ जातियां हैं। वहीं, मल्लाह, निषाद, केवट, बिंद, कहार, कश्यप, धीमर, रैकवार, तुरैहा, बाथम, भर, राजभर, मांझी, धीवर, प्रजापति, कुम्हार, मछुवा, बंजारा, घोसी, नोनिया जैसी सैकड़ों जातियां हैं, जिनको ओबीसी के आरक्षण का लाभ यादव और कुर्मी जैसा नहीं मिल पाया है। यही वजह रही है कि तमाम ओबीसी जातियां खुद को अनुसूचित जातियों में शामिल कराने की मांग भी करती रही हैं।

मोदी सरकार क्या आरक्षण को बांटेगी?

सुभासपा के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर से लेकर निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद तक ओबीसी आरक्षण के बंटवारे की मांग उठाती रही हैं, लेकिन सियासी मजबूरी के चलते कोई भी सरकार अमलीजामा नहीं पहना सकी है। यूपी और बिहार में यादव मतदाता को छोड़ दें तो बाकी देश के राज्यों में ये बीजेपी का कोर वोटबैंक माना जाता है। ऐसे ही ओबीसी के आरक्षण का फायदा उठाने वाली कुर्मी, गुर्जर, जाट, मौर्य, सैनी, लोधी जैसी जातियां भी बीजेपी के साथ मजबूती से खड़ी हैं। सवाल है कि ऐसे में मोदी सरकार कमीशन की रिपोर्ट को लागू कर सकेगी और ओबीसी आरक्षण को तीन या चार हिस्सों में बांटने का फैसला क्या कर सकेगी?

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