बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के पूर्व संयोजक एवं संभल सांसद डॉ. शफीकुर रहमान बर्क ने ‘लव जिहाद’ अध्यादेश को गलत करार दिया है। उन्होंने सख्त लहेज में कहा है कि कोर्ट ने जिस शादी को जुर्म नहीं माना तब योगी सरकार किस तरह दस साल की सजा तय कर रही है।
सरकार रेप मामले रोकने में सफल नहीं हो सकी, तो नई चीजें लाकर हिंदू-मुस्लिम कराना चाहती है। इसके अलावा बर्क ने कहा कि यह सरकार कोरोना वायरस और अपराध रोकने में भी असफल रही है और वह अपनी खामियां छिपाने के लिए ऐसा काम कर रही है, लेकिन जनता सब जानती है।
सांसद डॉ. शफीकुर रहमान बर्क ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर हमला करते हुए कहा कि यह लव जिहाद ही इस सरकार को खा जाएगा। साथ ही दावा किया कि लव जिहाद कानून मुसलमानों के खिलाफ है और पूरी कौम इसका जमकर विरोध करेगी। 2022 में भाजपा को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। मुसलमान तो लड़ना ही नहीं चाहता, लेकिन आरएसएस के लोग हिंदू-मुस्लिम कराना चाहते हैं, ताकि राजनीति का फायदा उठा सकें। बर्क ने कहा कि 2022 में अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी सरकार बनाएगी और नए भारत का निर्माण करेगी।
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बहरहाल, उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल ने मंगलवार को तथाकथित ‘लव जिहाद’ की घटनाओं को रोकने के लिए एक अध्यादेश को मंजूरी दे दी। इसके तहत विवाह के लिए छल, कपट, प्रलोभन या बलपूर्वक धर्मांतरण कराए जाने पर अधिकतम 10 वर्ष कारावास और जुर्माने की सजा का प्रावधान है। राज्य सरकार के प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020’ को मंजूरी दे दी गई। उन्होंने बताया कि इसे गैर जमानती संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखने और उससे संबंधित मुकदमे को प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट की न्यायालय में विचारणीय बनाए जाने का प्रावधान किया जा रहा है।
सामूहिक धर्म परिवर्तन के मामले में संबंधित सामाजिक संगठनों का पंजीकरण रद्द कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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कोई धर्मांतरण छल, कपट, जबरन या विवाह के जरिए नहीं किया गया है, इसके सबूत देने की जिम्मेदारी धर्म परिवर्तन कराने वाले तथा करने वाले व्यक्ति पर होगी। अध्यादेश का उल्लंघन करने पर कम से कम एक साल और अधिकतम पांच साल कैद व 15000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। नाबालिग लड़की, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की महिला के मामले में यह सजा तीन साल से 10 वर्ष तक की कैद और 25000 रुपये जुर्माने की होगी।
इसके अलावा सामूहिक धर्म परिवर्तन के संबंध में अधिकतम 10 साल की कैद और 50,000 रुपये जुर्माने की सजा का प्रावधान किया गया है।
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अध्यादेश में धर्म परिवर्तन के इच्छुक लोगों को जिला अधिकारी के सामने एक निर्धारित प्रोफार्मा पर दो महीने पहले इसकी सूचना देनी होगी। इजाजत मिलने पर वे धर्म परिवर्तन कर सकेंगे। इसका उल्लंघन करने पर छह महीने से तीन साल तक की कैद और 10,000 रुपये जुर्माने की सजा तय की गई है।