इंडोनेशिया के रुआंग ज्वालामुखी (Ruang Volcano) के विस्फोट ने हैरान करने वाला नजारा दिखाया। ये ज्वालामुखी नॉर्थ सुलावेसी प्रांत में है। इसका धमाका इतना तेज था कि सुनामी अलर्ट जारी कर दिया गया। विस्फोट के बाद राख और धुआं स्ट्रैटोस्फेयर तक पहुंचा। यानी 19 किलोमीटर की ऊंचाई तक।
यह ज्वालामुखी (Ruang Volcano) इससे पहले 1871 में इतनी तेज फटा था। तब भयानक सुनामी आई थी। अब वैज्ञानिकों को चिंता है कि इस विस्फोट के बाद यह ज्वालामुखी समंदर में न समा जाए। यानी यह भविष्य में अंडरसी वॉल्कैनो बन जाएगा। इसके विस्फोट के वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।
वैज्ञानिकों को अंदेशा है कि इस ज्वालामुखी के विस्फोट की तीव्रता 4 या 5 से ऊपर की हो सकती है, यानी उच्चतम स्तर की। जैसा कि 2022 में हुंगा टोंगा ज्वालामुखी की थी। जिसकी वजह से पूरी धरती पर असर पड़ा था। पूरी पृथ्वी पर दो बार शॉकवेव दौड़ गई थी।
रुआंग ज्वालामुखी (Ruang Volcano) से निकलने वाले केमिकल की जांच होगी। फिलहाल वैज्ञानिक इसके विस्फोट के रुकने का इंतजार कर रहे हैं। यह ज्वालामुखी लगातार विस्फोट करता जा रहा है। इस ज्वालामुखी में पहला विस्फोट 16 अप्रैल को हुआ था। बाद में 17 अप्रैल की देर रात भयानक विस्फोट हुआ, जिसकी तस्वीरें बेहद भयावह हैं।
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पहला धमाके से आसमान में दो किलोमीटर ऊंची राख की दीवार बनी। इसके बाद दूसरे विस्फोट से यह बढ़कर ढाई किलोमीटर हो गई। बाद में यह वायुमंडल के निचले लेयर तक पहुंच गई। यह ज्वालामुखी समंदर से 725 मीटर ऊंचा है। इसके विस्फोट की वजह से ज्वालामुखी के आसपास के 100 किलोमीटर का दायरा खाली करा लिया गया है।
सबसे ज्यादा एक्टिव ज्वालामुखी इंडोनेशिया में
दुनिया में सबसे ज्यादा सक्रिय यानी एक्टिव ज्वालामुखी इंडोनेशिया में हैं। यहां पर कुल मिलाकर 121 ज्वालामुखी हैं। जिसमें से 74 साल 1800 से एक्टिव हैं। इनमें से 58 ज्वालामुखी साल 1950 से सक्रिय हैं। यानी इनमें कभी भी विस्फोट हो सकता है। सात ज्वालामुखियों में तो 12 अगस्त 2022 के बाद से लगातार विस्फोट हो ही रहा है। ये हैं- क्राकटाउ, मेरापी, लेवोटोलोक, कारांगेटांग, सेमेरू, इबू और डुकोनो।
इसके ज्यादा सक्रिय वॉल्कैनो यहां क्यों हैं?
अब सवाल ये उठता है कि आखिर यहीं पर इतने सक्रिय ज्वालामुखी क्यों हैं? इसकी तीन बड़ी वजहें हैं। पहला ये कि इंडोनेशिया जिस जगह हैं, वहां पर यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेट दक्षिण की ओर खिसक रही हैं। इंडियन-ऑस्ट्रेलियन टेक्टोनिक प्लेट उत्तर की ओर खिसक रही है। फिलिपीन्स प्लेट पश्चिम की तरफ जा रही है। अब इन तीनों प्लेटों में टकराव या खिसकाव की वजह से ज्वालामुखियों में विस्फोट होता रहता है।
इंडोनेशिया को कहते हैं फटते हुए ज्वालामुखियों का देश
असल में इंडोनेशिया को फटते हुए ज्वालामुखियों का देश भी कहा जाता है। यह देश पैसिफिक रिंग ऑफ फायर के ऊपर बसा है। इस इलाके में सबसे ज्यादा भौगोलिक और भूगर्भीय गतिविधियां होती हैं। जिसकी वजह से भूकंप, सुनामी, लावा के गुंबदों का बनना आदि होता रहता है। इसकी वजह से कई बार जान-माल का भारी नुकसान भी होता है। इंडोनेशिया का सबसे ज्यादा सक्रिय ज्वालामुखी केलूट और माउंट मेरापी हैं। ये दोनों जावा प्रांत में हैं।