नवरात्र में मां के नौ रूपों की उपासना की जाती है। मां को प्रसन्न करने के लिए नौ दिनों तक व्रत और मां के लिए अखंड ज्योत (Akhand Jyot) जलाई जाती है। अखंड ज्योति मतलब नौ दिनों तक बिना बुझे जलने वाली ज्योति। इसे प्रतिपदा के दिन दिन कलश स्थापना के समय प्रज्वलित किया जाता है। इसे जलाने से पहले कई चीजों के बारे में आपको पता होना चाहिए। आप भी अखंड ज्योति जला रहे हैं, तो अभी से पढ़ लें कुछ बातें
अखंड ज्योत (Akhand Jyot) के नियम
– अखंड ज्योत (Akhand Jyot) को अगर जला रहे हैं, तो ध्यान रखें कि इसके लिए दीपक और ज्योत की बत्ती इतनी बड़ी लेनी है कि ये काफी लंबे समय तक जले।
– आपको अखंड ज्योत (Akhand Jyot) की देखभाल करनी होगी। इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि स्नान करके शुद्ध होकर ही अखंड ज्योत में घी, शुद्ध देसी घी भरें। इसे कभी गंदे हाथों से नहीं छूना चाहिए।
– अखंड ज्योति जलाने के लिए इस्तेमाल हुए दीपक या टूटे हुए दीपक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
– इस ज्योत की बत्ती कलावे की भी बना सकते हैं, इसमें चावल भरे जाते हैं। इसे माता के पास जमीन पर नहीं बल्कि किसी थाली में चावल भरकर रखा जाता है।
– जहां ज्योति (Akhand Jyot) जल रही हो, वहां ताला नहीं लगाना चाहिए। इसमें इतना घी भरकर रखें कि यह तीन-चार घंटे तक जले।
– अंखड ज्योत (Akhand Jyot) को समाप्त नहीं किया जाता है। यह अपने आप कन्या पूजन के बाद समाप्त होती है।
– किसी कारणवश आप अपने घर में अखंड ज्योत नहीं जला पा रहे हैं, तो आपको किसी मंदिर में अपने नाम से अंखड ज्योत की सामग्री दान करनी चाहिए।