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जानें नवरात्रि में कलश पर नारियल स्थापना का नियम एवं विधि

Shardiya Navratri

Shardiya Navratri

हिंदू धर्म में नवरात्रि (Navratri) का पर्व शक्ति की उपासना का सबसे बड़ा उत्सव माना जाता है। इस दौरान घर-घर में कलश स्थापना कर देवी मां को आमंत्रित किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, कलश ब्रह्मांड का प्रतीक है और उसके ऊपर रखा नारियल (Coconut) समृद्धि, शक्ति और शुद्धता का द्योतक माना जाता है लेकिन कलश पर नारियल रखने के भी कुछ विशेष नियम हैं, जिन्हें सही ढंग से पालन करने पर ही माता की कृपा प्राप्त होती है।

नारियल (Coconut) रखने का महत्व

नारियल को ‘श्रीफल’ भी कहा जाता है। इसे माता को अर्पित करने से जीवन में सौभाग्य और सुख-समृद्धि का वास होता है। कलश पर रखा नारियल देवी के सिर का प्रतीक माना जाता है, जो भक्त और देवी मां के बीच सीधा संबंध जोड़ता है। यही कारण है कि इसे बेहद सावधानी और शास्त्रीय नियमों के अनुसार स्थापित किया जाता है।

कलश पर नारियल (Coconut) रखने के नियम

साफ और अखंड नारियल का प्रयोग करें– टूटा, फूटा या जला हुआ नारियल माता को अर्पित नहीं करना चाहिए।

लाल या पीले कपड़े में नारियल लपेटें– नारियल को स्वच्छ कपड़े में लपेटकर उस पर मौली (लाल धागा) बांधें।

कलश में पवित्र जल भरें- गंगाजल या शुद्ध जल में सुपारी, अक्षत (चावल), सिक्का और पंचरत्न डालकर ही नारियल स्थापित करें।

आम या अशोक के पत्तों का प्रयोग करें– नारियल रखने से पहले कलश के मुंह पर पांच पत्ते सजाना शुभ माना जाता है।

मुख्य दिशा का ध्यान रखें– कलश को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखकर ही नारियल स्थापित करें।

कलश का मुख किस रखना शुभ– मान्यता के अनुसार कलश का मुख साधक की तरफ होने को ही विधिसम्वत और शुभ होता है।

नारियल(Coconut) स्थापना की विधि

सबसे पहले घर के पूजा स्थान को शुद्ध कर लें। स्वच्छ आसन बिछाकर मिट्टी या धातु का कलश रखें। उसमें जल भरकर सुपारी, चावल और सिक्का डालें। कलश के ऊपर आम के पत्ते लगाकर नारियल को कपड़े और मौली में लपेटकर स्थापित करें। अंत में देवी मां का आह्वान कर दीपक और अगरबत्ती जलाएं।

क्यों है यह परंपरा खास?

माना जाता है कि इस विधि से किया गया कलश स्थापना और नारियल (Coconut) अर्पण, घर में नौ देवियों का आगमन कराता है। इससे रोग-शोक दूर होते हैं और घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है। यही कारण है कि नवरात्रि के दौरान नारियल (Coconut) स्थापना को देवी पूजा की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी माना गया है।

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