भोपाल। मध्य प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव का बिगुल बज चुका है। इस उपचुनाव में भाजपा और कांग्रेस कोई कमजोर कड़ी नहीं छोड़ना चाह रही है।
इसी बीच ज्योतिरादित्य सिंधियों को चुनौती देने के लिए उनके दोस्त राजस्थान के कांग्रेस नेता सचिन पायलट को उनके गढ़ में उतार दिया है। अब सचिन पायलट अपनी पार्टी के प्रत्याशियों के लिए चुनाव प्रचार करेंगे। इन सीटों में से अधिकांश सीटें सचिन पायलट के साथ पूर्व में कांग्रेस के लिए लंबे समय तक काम कर चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ माने जाने वाले ग्वालियर-चंबल में हैं।
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बता दें कि सिंधिया अब भाजपा से राज्यसभा सदस्य हैं। इन उपचुनावों में उनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। कुल 230 सदस्यों वाली मध्य प्रदेश विधानसभा की 28 सीटें रिक्त हैं जिन पर उपचुनाव होने हैं। इनमें से 25 सीटें कांग्रेस विधायकों के इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होने से खाली हुई हैं, जबकि दो सीटें कांग्रेस के विधायकों के निधन से और एक सीट भाजपा विधायक के निधन से रिक्त है।
हालांकि, चुनाव आयोग ने फिलहाल उपचुनाव का कार्यक्रम घोषित नहीं किया है मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता ने रविवार को बताया कि मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री पायलट से खासकर ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में पार्टी के प्रत्याशियों के लिए चुनाव प्रचार करने का अनुरोध किया था। पायलट ने इसके लिए तुरंत अपनी सहमति भी दे दी है।
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उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश एवं राजस्थान पड़ोसी राज्य है। इसलिए पायलट मध्य प्रदेश के साथ-साथ यहां की राजनीति से भी अच्छी तरह से परिचित हैं। गुप्ता ने कहा कि पायलट ने नवंबर 2015 में रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव में भी कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया के लिए चुनाव प्रचार किया था। तब भूरिया ने इस सीट पर जीत हासिल की थी।
पायलट गुज्जर समुदाय के हैं। मध्य प्रदेश में गुज्जरों को गुर्जर कहा जाता है। मध्य प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर होने वाले आगामी उपचुनाव में से 16 विधानसभा सीट ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में हैं और इन 16 सीटों पर भारी तादात में गुर्जर मतदाता हैं।
गुप्ता ने कहा कि पायलट के इस क्षेत्र में चुनाव प्रचार करने से कांग्रेस को गुर्जर समुदाय के मतदाताओं को अपने प्रत्याशियों के पक्ष में मतदान करने के लिए लुभाने में मदद मिल सकती है। पायलट ने जुलाई में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत कर दी थी। सिंधिया की तर्ज पर उनके भाजपा में शामिल होने की चर्चा होने लगी थी। हालांकि, बाद में पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के हस्तक्षेप के बाद पायलट अपनी पार्टी कांग्रेस में वापस लौट आए हैं।
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उल्लेखनीय है कि मार्च में कांग्रेस के 22 विधायकों ने मध्य प्रदेश विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के साथ-साथ कांग्रेस छोड़ी थी और भाजपा में शामिल हो गये थे। इनमें से अधिकांश विधायक ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक हैं। इसके बाद मध्य प्रदेश की कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस नीत सरकार गिर गई थी और शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा फिर से सत्ता में आई है। कांग्रेस से भाजपा में आये इन 22 नेताओं में से कई चौहान के मंत्रिमंडल में मंत्री हैं।