लखनऊ। सुन्नी धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि इस्लाम में सुनी सुनाई बातों पर फैसला लेना ही नाजायज है। बगैर किसी तस्दीक के किसी चीज को हराम या हलाल कैसे कहा जा सकता है? जो लोग कोरोना वैक्सीन को हराम कह रहे हैं। उन्हें ये बताना चाहिए कि उन्होंने किस डॉक्टर से जानकारी ली है?
इस्लाम में जान की हिफाजत को सबसे अहम बताया गया है। पैगम्बर ए इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब ने दवा के जरिए इलाज कराने का हुक्म दिया है। कोरोना बीमारी से दुनिया भर में तमाम लोग मर चुके हैं। इस बीमारी के इलाज का कोई विकल्प भी नहीं है।
बेबस सरकार की मजबूरियां भी तो समझें आंदोलनकारी
अगर किसी दवा में कोई हराम चीज भी शामिल हो और जान बचाने के लिए उसका कोई विकल्प न हो तो वह ली जा सकती है। मेरी सभी से गुजारिश है कि पोलियो वैक्सीन की तरह कोरोना वैक्सीन के लिए अफवाह न फैलाए बल्कि वैक्सीन का इंतजार करें और डॉक्टर की सलाह लें।
बता दें कि कोरोना वैक्सीन के निर्माण में कुछ ऐसे पदार्थों का इस्तेमाल किया गया है जिसका इस्तेमाल करने की इजाजत इस्लामिक कानून नहीं देता। जिस पर मौलाना ने अपनी राय दी है।