सकट चौथ (Sakat Chauth) हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत मुख्य रूप से सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखती हैं। इस दिन भगवान गणेश के साथ माता पार्वती की पूजा की जाती है। इस व्रत को रखने से पति की उम्र लंबी होती है और उनका स्वास्थ्य अच्छा रहता है। सकट चौथ का व्रत रखने से घर में सुख-समृद्धि आती है और संतान प्राप्ति के लिए भी यह व्रत किया जाता है। इस व्रत को रखने से माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में आने वाली परेशानियां कम होती हैं।
पंचांग के अनुसार, माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 17 जनवरी दिन शुक्रवार को सुबह 4 बजकर 18 मिनट से शुरू होगी और 18 जनवरी दिन शनिवार को सुबह 05 बजकर 46 मिनट पर खत्म होगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार 17 जनवरी दिन शुक्रवार को ही सकट चौथ का व्रत रखा जाएगा। इस दिन शाम के समय 7 बजकर 32 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
संकट चौथ (Sakat Chauth) की ऐसे करें पूजा
संकट चौथ के दिन सबसे पहले स्नान कर व्रत का संकल्प लें और फिर एक चौकी पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें। पीला वस्त्र पहनकर भगवान गणेश की पूजा करें। दूर्वा अर्पण करें। तिल से बनी चीजों का भोग लगाएं। वहीं, रात्रि में चंद्रमा को अपनी मनोकामना लिए जल में तिल मिलाकर अर्पित करें। ऐसा करने से मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होंगी। संतान के सभी कष्ट समाप्त हो जाएंगे।
सकट चौथ (Sakat Chauth) व्रत के नियम
निर्जला व्रत: सकट चौथ का व्रत निर्जला रखा जाता है। अर्थात पूरे दिन पानी भी नहीं पीना चाहिए।
सात्विक भोजन: व्रत तोड़ने से पहले तक केवल सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए।
शांत वातावरण: पूजा के समय शांत वातावरण में बैठकर पूजा करें।
द्वेष या ईर्ष्या: मन में किसी भी प्रकार का द्वेष या ईर्ष्या न रखें।
चंद्रमा को अर्घ्य: चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत का पारण करना चाहिए।
संकट चौथ (Sakat Chauth) व्रत का महत्व
सकट चौथ (Sakat Chauth) व्रत का दिन माताओं के लिए बहुत ही खास होता है। इस दिन माताएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। यह व्रत माता-पिता और संतान के बीच के बंधन को मजबूत करता है। संतान प्राप्ति के लिए भी यह व्रत किया जाता है। सकट चौथ का व्रत रखने से घर में सुख-समृद्धि आती है और माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है।