सलमान खान द्वारा कोर्ट में अपने हथियारों के खो जाने को लेकर दिए गए झूठे शपथ-पत्र के मामले में गुरुवार को फैसला आएगा। इस मामले में सरकार की ओर से सीआरपीसी की धारा- 340 में पेश की गई अर्जी पर जिला एवं सत्र न्यायालय अपना फैसला सुनाएगा। यदि सलमान इस मामले में दोषी पाए जाते हैं तो उन पर आईपीसी की धारा-193 के तहत मुकदमा दर्ज किया जा सकता है। इसमें अधिकतम 7 वर्ष के कारावास और अर्थदंड का प्रावधान है।
कांकानी हिरण शिकार और आर्म्स एक्ट मामले में कोर्ट की ओर से पूर्व में सलमान से उनके हथियारों के लाइसेंस की मूल प्रति मांगी गई थी। इस पर सलमान ने कोर्ट में अपना लाइसेंस जमा कराने को लेकर असमर्थता जताई थी।
सलमान ने कोर्ट में एक शपथ-पत्र पेश कर बताया था कि उनका लाइसेंस गुम हो गया है। इसके साथ सलमान ने मुंबई के बांद्रा पुलिस थाने में लाइसेंस खो जाने को लेकर दर्ज कराई गई एफआईआर की प्रति भी कोर्ट में पेश की थी।
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मामले में कोर्ट ने मुंबई पुलिस को जवाब तलब किया। मुंबई पुलिस के एक कर्मचारी ने कोर्ट को बताया कि सलमान खान के हथियारों का लाइसेंस मुंबई पुलिस कमिश्नरेट में नवीनीकरण के लिए विचाराधीन है। इस बात का खुलासा होते ही लोक अभियोजक भवानी सिंह भाटी ने कोर्ट के समक्ष वर्ष- 2006 में सीआरपीसी की धारा-340 के अंतर्गत एक अर्जी पेश कर सलमान पर कोर्ट को गुमराह करने और झूठे साक्ष्य कोर्ट में पेश करने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ आईपीसी की धारा-193 के तहत कार्रवाई करने की मांग की थी।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के कई आदेशों में किसी व्यक्ति द्वारा कोर्ट में विचाराधीन मामले में किसी प्रकार का लाभ नहीं लेने के उद्देश्य से गलती से बोले गये झूठ या गलत पेश किए गए साक्ष्य के बाद में स्वयं की गलती को स्वीकार कर लेने पर आरोपियों को दोषमुक्त किया गया है। यहां गौर करने वाली बात यह है कि सलमान की ओर से कभी भी कोर्ट को यह सूचना नहीं दी गई कि उन्होंने भूलवश शपथ-पत्र पेश किया। ऐसे में सलमान के मामले में कोर्ट का क्या रुख रहता है, यह देखने वाली बात होगी।