भोपाल। मध्यप्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि प्राथमिक स्तर से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक के समस्त शैक्षणिक संस्थानों को प्राचीन संस्कृति एवं मूल्यों के प्रति निष्ठावान रहना होगा। संचार-क्रान्ति के साथ संस्कार-क्रान्ति भी आवश्यक है।
श्रीमती पटेल शनिवार को राजभवन लखनऊ से रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के 32 वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव भी कार्यक्रम में शामिल हुए। श्रीमती पटेल ने कहा कि प्राचीन ज्ञान का सदुपयोग और राष्ट्रीय स्तर पर आधुनिकीकरण दोनों में समन्वय होना चाहिए। ताकि देश तथा संस्कृति के अनुरूप नागरिकों का पूर्ण विकास हो जो देश-समाज की आवश्यकताओं की पूर्ति करने में समर्थ हों।
राज्यपाल ने कहा कि वर्तमान युग वैश्विक प्रतिस्पर्धा का युग है, इस युग में वही अग्रगामी हो सकता है, जो प्रतिस्पर्धा में खरा उतरे। उत्कृष्टता का निर्माता भी वही हो सकता है जो अपनी महान परम्पराओं का समन्वय आधुनिक तकनीकी के साथ कर पाने में सक्षम हो। शिक्षा संस्थानों से ही नागरिक शिक्षित और संस्कारित होते है। राष्ट्र के सर्वांगीण विकास के लिये शिक्षा और तकनीकी कौशल में समन्वय आवश्यक है। इस दिशा में सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अन्तर्गत गुणात्मक शिक्षा के लिए व्यापक स्तर पर नीतिगत बदलाव और नवाचार किए है। उन्हें धरातल पर लाने के लिए व्यापक चिंतन के साथ विश्वविद्यालय स्तर पर प्रयास जरुरी है।
श्रीमती पटेल ने कहा कि उच्च शिक्षा संस्थानों में अध्ययनरत विद्यार्थियों एवं अध्यापकों को शिक्षा में नवीनता और आधुनिकता का ध्यान अवश्य रखना चाहिये। साथ ही अपनी सांस्कृतिक विरासत, समृद्ध परम्पराओं एवं शाश्वत मूल्यों की निधि का संरक्षण भी जरुरी है। शिक्षा संस्थानों को समाज और देश की ज्वलन्त समस्याओं के प्रति जागरुक और संवेदनशील और उनके समाधान में योगदान के लिए जागरुक रहना चाहिए। आज के वैश्वीकरण युग में हम शिक्षा को एकाकी नहीं छोड़ सकते हैं। उसे कुछ पाठ्यपुस्तकों तक सीमित भी नहीं रख सकते हैं। इसलिए हमारे पाठ्यक्रम ऐसे होने चाहिये जो विद्यार्थियों को सामाजिक सम्बन्धों के प्रति सचेत करे।
उन्होंने कहा कि राष्ट्र का युवा वर्ग समाज के सर्वाधिक उत्तरदायी वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है। वह शक्ति व उत्साह से परिपूर्ण होता है। आवश्यकता इस बात की है कि उसे उचित दिशाबोध एवं यथायोग्य रोजगार मिल सके। इसके लिये ही सही शिक्षा और समर्थ शिक्षक आवश्यक हैं। एक पुस्तक, एक आदर्शवादी शिक्षक हजारों-लाखों युवाओं के मानस को सकारात्मक एवं रचनात्मक दिशा की ओर उन्मुख कर सकता हैं।
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श्रीमती पटेल ने विद्यार्थियों का आव्हान किया कि अपने ज्ञान द्वारा नैतिक मूल्यों के साथ श्रेष्ठ समाज निर्माण को दिशा प्रदान करें।अपनी मेधा और मेहनत से राष्ट्र और समाज के नव निर्माण में योगदान दे। उन्होंने कहा कि मजबूत राष्ट्र के लिए नारी शक्ति का शिक्षित, स्वस्थ और आत्मनिर्भर होना जरुरी है। सरकार महिला सशक्तिकरण के लिए नारी-शिक्षा और आर्थिक स्वालंबन को विशेष महत्त्व दे रही है।
उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने कहा कि कोरोना काल में भारतीय संस्कृति के जीवन मूल्यों, संस्कृति को वैश्विक स्तर पर नई पहचान मिली है। उन्होंने कहा हमारा उच्च शिक्षा के क्षेत्र में गौरवशाली इतिहास है। दीक्षित विद्यार्थी समाज की बौद्धिक संपदा के संवाहक है। उन्होंने कहा कि समारोह में शामिल सभी शिक्षक और विद्यार्थी भारतीय ज्ञान परंपरा की समृद्ध विरासत को संरक्षित रखने और उसे आगे बढ़ाने का प्रयास करें। उन्होंने विद्यार्थियों को उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं और सफल आयोजन के लिए बधाई दी।
कुलपति के डी मिश्रा ने विश्वविद्यालय की गतिविधियों का विवरण दिया। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय ने सामजिक-आर्थिक रुप से पिछड़े वर्ग के 26 क्षय रोगियों की शिक्षा एवं स्वास्थ्य दायित्व ग्रहण किया है। इनमें से 21 पूर्णत: स्वस्थ हो गए है। अकादमिक उन्नयन के लिए भारतीय ज्ञान शोध पीठ, रानी दुर्गावती शोध पीठ और गुरु नानक शोध पीठ की स्थापना की है। विद्यार्थियों के स्वास्थ्य एवं नेत्र परीक्षण कराने के साथ ही स्वास्थ्य एवं स्वच्छता के प्रति जनजागरुता के कार्य किए गए है।
कार्यक्रम का संचालन कुलसचिव दीपेश मिश्रा ने किया। इस अवसर पर अकादमिक सत्र 2017-18 एवं 2018-19 में उत्तीर्ण उपाधि, विभिन्न संकायों में पी.एच.डी., विद्यार्थियों को उपाधि और विभिन्न कक्षाओं में सर्वाधिक अंक प्राप्त विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक, रजत पदक प्रदान किए।