संतान सप्तमी (Santan Saptami ) व्रत हिंदू धर्म के प्रमुख व्रतों में से एक है। यह व्रत माताएं अपनी संतान की कृपा व मंगलकामना के लिए करती हैं। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से निसंतान को संतान सुख की प्राप्ति होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को रखा जाता है। संतान सप्तमी को ललिता सप्तमी के नाम से भी जानते हैं। यह व्रत भगवान शिव व माता पार्वती को समर्पि जानें इस साल संतान सप्तमी कब है व पूजन का समय, महत्व व व्रत विधि-
संतान सप्तमी (Santan Saptami ) कब है
द्रिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 09 सितंबर को रात 09 बजकर 53 मिनट पर प्रारंभ होगी और 10 सितंबर को रात 11 बजकर 11 मिनट पर समाप्त होगी। संतान सप्तमी व्रत 10 सितंबर को रखा जाएगा।
संतान सप्तमी (Santan Saptami ) के दिन बन रहे ये शुभ मुहूर्त-
ब्रह्म मुहूर्त- 04:31 ए एम से 05:17 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11:52 ए एम से 12:42 पी एम
विजय मुहूर्त- 02:22 पी एम से 03:11 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 06:31 पी एम से 06:54 पी एम
अमृत काल- 08:48 ए एम से 10:32 ए एम
संतान सप्तमी (Santan Saptami ) पूजा विधि-
1. पूजा के लिए चौकी सजाएं।
2. भगवान शिव व माता पार्वती की फोटो या प्रतिमा सामने रखें।
3. शिव-पार्वती की मूर्ति रखने के बाद नारियल के पत्तों के साथ कलश स्थापित करें।
4. अब धूप, दीप व आरती के साथ बेलपत्र, फल-फूल व मिठाई अर्पित करें।
5. पूजा के बाद संतान सप्तमी व्रत कथा पढ़ें या सुनें।
संतान सप्तमी (Santan Saptami ) पर राहुकाल व भद्रा का समय- संतान सप्तमी के दिन राहुकाल दोपहर 03 बजकर 24 मिनट से शाम 04 बजकर 57 मिनट तक रहेगा। भद्रा रात 11 बजकर 11 मिनट पर प्रारंभ होगी जो कि 11 सितंबर को सुबह 06 बजकर 03 मिनट पर समाप्त होगी।
संतान सप्तमी (Santan Saptami ) का महात्म्य: संतान सप्तमी का व्रत संतान और उसकी खुशहाली के लिए रखा जाता है। इस व्रत में भगवान शिव व माता पार्वती की विधिवत पूजा की जाती है। यह व्रत पुरुष व महिला दोनों रख सकते हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान को लंबी आयु प्राप्त होती है और दुख-दर्द दूर होते हैं।