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2 अक्टूबर को है सर्वपितृ अमावस्या, जानें पूजा-विधि और शुभ मुहूर्त

Sarvapitru Visarjan Amavasya

Sarvapitru Visarjan Amavasya

हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का बहुत अधिक महत्व होता है। पितृ पक्ष को श्राद्ध पक्ष के नाम से भी जाना जाता है। पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष के दौरान पितर संबंधित कार्य करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस पक्ष में विधि- विधान से पितर संबंधित कार्य करने से पितरों का आर्शावाद प्राप्त होता है। पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्र मास में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से होती है। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि  तक पितृ पक्ष रहता है। इस साल 2 अक्टूबर 2024 को पितृ पक्ष का समापन हो जाएगा। 16 दिनों से चल रहे श्राद्ध पक्ष का समापन सर्वपितृ अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya )  को होता है।

यदि किसी ने अपने पितरों की तिथि को श्राद्ध न किया हो तो इस अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya ) को कर सकते हैं। यदि कोई संपूर्ण तिथियों पर श्राद्ध करने में सक्षम न हो, तो वह मात्र अमावस्या तिथि पर सभी का श्राद्ध कर सकता है। पितरों को प्रसन्न करने के लिए ये बहुत ही शुभ मुहूर्त है। जो पूर्वजों की आत्माओं को प्रसन्न करने के लिए पर्याप्त है। पूर्वजों की पुण्यतिथि पता न हो तो उनका श्राद्ध भी अमावस्या तिथि पर किया जा सकता है।

मुहूर्त-

आश्विन, कृष्ण अमावस्या प्रारम्भ – 09:39 पी एम, अक्टूबर 01

आश्विन, कृष्ण अमावस्या समाप्त – 12:18 ए एम, अक्टूबर 03

कुतुप मूहूर्त – 11:46 ए एम से 12:34 पी एम

अवधि – 00 घण्टे 47 मिनट्स

रौहिण मूहूर्त – 12:34 पी एम से 01:21 पी एम

अवधि – 00 घण्टे 47 मिनट्स

अपराह्न काल – 01:21 पी एम से 03:43 पी एम

अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya ) पूजा-विधि

– सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इस दिन पवित्र नदी या सरवोर में स्नान करने का महत्व बहुत अधिक होता है। आप घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं।

– स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।

– सूर्य देव को अर्घ्य दें।

– अगर आप उपवास रख सकते हैं तो इस दिन उपवास भी रखें।

– पितर संबंधित कार्य करें।

– पितरों के निमित्त तर्पण और दान करें।

– इस पावन दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।

– इस पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है।

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