Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

धनतेरस पर बन रहा सर्वार्थसिद्धि और अमृत सिद्ध का शुभ योग, जाने पूजा का उत्तम मुहूर्त

Dhanteras

Dhanteras

धनतेरस (Dhanteras) का पर्व हस्त नक्षत्र में मनाया जाएगा। धनतेरस पर सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्ध योग बन रहा है जो विशेष शुभ माना जाता है। इस वर्ष कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी 22 और 23 अक्तूबर को प्रदोष व्यपिनी है। दोनों दिन प्रदोष काल शाम 5:45 बजे से रात्रि 8:15 बजे तक रहेगा।

बालाजी ज्योतिष संस्थान के पं. राजीव शर्मा का कहना है कि यदि दोनों दिन त्रयोदशी प्रदोष-व्यपिनी हो तो यह व्रत दूसरे दिन करना चाहिए। इस मान्यता के अनुसार धनतेरस पर्व 23 अक्तूबर को मनाना चाहिए।

पंच दिवसीय दीपावली का पहला दिन धन त्रियोदशी से आरम्भ होता है। इस वर्ष धनतेरस पर्व पर चंद्र का भी संचार कन्या राशि मे होना शुभ रहेगा। गोचर में शुक्र-बुध ग्रह का राजयोग भी बन रहा है जो कि धनतेरस पर कुबेर को प्रसन्न करने के साथ व्यापार शुभ कार्यों के आरम्भ करने के लिए भी अतिश्रेष्ठ रहेगा। इस दिन चुर्तमास की समाप्ति होगी। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन आयुर्वेद विद्या के जनक भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था।

धन्वन्तरि (Dhanteras) पूजा मुहूर्त

सुबह 7:40 बजे से 12:04 बजे तक पूजा का मुहूर्त है। बर्तन एवं आभूषण खरीदने का शुभ समय दोपहर 1:28 बजे से 2:53 बजे तक और शाम 5:47 बजे से रात्रि 10:28 बजे तक है। यम दीप दान मुहूर्त काल (प्रदोष काल) 5:44 बजे से 7:14 बजे तक होगा।

धन त्रियोदशी पर करें दीपदान

स्कन्द पुराण के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रियोदशी के प्रदोष काल में यमराज के निमित्त दीप और नैवेध समर्पित करने पर अपमृत्यु अथवा अकाल मौत का नाश होता है। पं. राजीव शर्मा का कहना है कि यमदीप दान केवल प्रदोष काल मुहूर्त शाम 5:44 बजे से रात्रि 7:14 बजे तक ही करें। यमदीप दान के लिए मिट्टी का एक बड़ा दीपक लेकर उसको स्वच्छ जल से धोने के बाद उसमें दो रूई की बत्तियां बनाकर (चौमुखा दीपक) उसे तिल के तेल से भर दें एवं उसमें कुछ काले तिल भी डाले। प्रदोष काल में तैयार किए गए दीपक का रोली, अक्षत एवं पुष्प से पूजन करें तत्पश्चात् घर के मुख्य द्वार पर गेहू अथवा खील की ढेरी बनाकर उसके ऊपर दीपक रखकर प्रार्थना करें।

Exit mobile version