सितारों से भरा ऑडिटोरियम.. कभी जोर से ठहाकों की आवाज आती, तो कभी थमने का नाम नहीं लेते आंसू, तो कभी गानों की धुन पर पूरी ऑडियंस का गुनगुनाना. मजेदार बात यह है कि ये इमोशन एक ही फ्लो में नहीं बह रहे थे बल्कि किस्तों में चेहरे पर ये सारे इमोशन थे. दरअसल मौका था सतीश कौशिक (Satish Kaushik) के बर्थडे सेलिब्रेशन का. उनके खास दोस्त अनुपम खेर ने उनका जन्मदिन इस शर्त पर मनाया कि कोई भी सतीश के न होने पर शोक व्यक्त नहीं करेगा, बल्कि उसकी जिंदगी को सेलिब्रेट करते हुए उस पल को जिएगा… और वहां हुआ भी वही..
सपने में सतीश (Satish Kaushik) ने कहा, यार तू मेरा जन्मदिन नहीं मनाएगा
ऑडिटोरियम में मौजूद मेहमानों को अड्रेस करते हुए अनुपम ने कहा, सतीश का आज 67वां जन्मदिन है. मैंने उसके साथ 47 साल गुजारे हैं. मैं कोशिश करूंगा कि आज बिलकुल भी नहीं रोऊं और हंसते हुए आज यह दिन सेलिब्रेट करूं. किसी अपने के न होने के गम को कोई बदल नहीं सकता है, क्योंकि आप केवल इंसान को नहीं खोते हैं, बल्कि आप खोते हैं अपने ऐसे शख्स को जो आपसे लड़ता था, बहस करता था और जिसका आपके साथ इतना लंबा सफर रहा है. मैं आज उस चीज का मातम मनाने की बजाए, उसकी लाइफ को सेलिब्रेट करूंगा. सतीश की जिंदगी बहुत जबरदस्त और ड्रामैटिक रही है.
सतीश से मेरी मुलाकात जुलाई 1974 को हुई थी, उस वक्त हम नेशनल स्कूल ड्रामा में पढ़ते थे. वहां एक राउंड टेबल हुआ करता था, जहां वो मेरे साथ बैठा था. अचानक से वो उठकर जाने लगा, मैंने पूछा क्यों जा रहा है, तो कहता है तू बहुत गोरा और काला, कॉन्ट्रास्ट हो जाएगा. वो उठ कर चला गया. हमारी दोस्ती अजीबो गरीब तरीके से शुरु हुई. वो लोकल था, मैं हॉस्टल में रहता था. उसके परिवार वाले हमारे लिए टिफिन भेजा करते थे. हम दोस्त बने, फिर दुश्मन, फिर दोस्ती फिर एक दूसरे के प्रति जलन, फिर दोस्ती.. सतीश के रूप में मेरी आदत चली गई. मेरा रोजाना उसे फोन करना, दिन में कभी उसके ऑफिस चले जाना.. मेरे लिए यह बहुत मुश्किल हो गया. मैं इस मोड़ पर अकेला हो गया हूं.
उसके जाने के बाद मैं खाली हो गया. कल ही की बात है, मैं यशराज में शूटिंग कर रहा था. मेरी दूसरी अपॉइंटमेंट आधे घंटे बाद थी, मैंने फौरन ड्राइवर को कहा कि सतीश की ऑफिस की तरफ कार लेना… फिर अचानक से मैं चुप हो गया… हालांकि मैंने यह सेरमनी भी लगभग कैंसिल करने का प्लान कर दिया था. मैंने शशि (सतीश कौशिक की पत्नी) को कॉल कर कहा कि मुझसे नहीं होगा. उन्होंने कहा कि जैसा आपको ठीक लगे. रात में बात हुई और उसी की सुबह साढ़े चार बजे वो सपने में आया और चाय पीते हुए मुझे मोटी सी गाली देते हुए कहा कि अनुपम.. तू बड़ा अजीबो-गरीब आदमी है, मेरे लिए कुछ नहीं कर रहा तू.. मेरा जन्मदिन नहीं मनाएगा.. वो इतना सच लग रहा था कि मैं सुबह बेचैन होकर उठा.
और फूट-फूटकर रोने लगे अनिल..
अपनी पत्नी और दोस्त रानी मुखर्जी संग मौके पर पहुंचे अनिल कपूर के आंसू थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे. वे लगातार रोते रहे.. स्टेज पर जब अनुपम खेर ने उन्हें संबोधित करते हुए अपने करीबी दोस्त के बारे में कुछ कहने को बुलाया, तो अनिल उठकर स्टेज की ओर बढ़े जरूर लेकिन सीढ़ियों तक पहुंच कर वो दोबारा रोते हुए सीट पर आ बैठे. उन्होंने इशारे में कहा कि मुझसे नहीं होगा…बॉलीवुड में अनिल, अनुपम और सतीश (Satish Kaushik) की दोस्ती की तिकड़ी पिछले 40 साल से चल रही है. हालांकि अपने दोस्त का जन्मदिन का मौका है, वो कैसे कुछ न कहे.. काफी हिम्मत बांधते हुए वो स्टेज पर पहुंचे, जब हवा हवाई गाना परफॉर्म हो रहा था. अनिल गाने की धुन में नाचते हुए स्टेज पर थे. अनिल ने जब माइक लिया, तो फिर कांपते हुए होंठों से कहा कि अब मैं किससे अनुपम की बुराई करूंगा..मेरी जिंदगी के चालीस साल का साथ चला गया… इन सालों में इतनी चीजें हुई हैं कि मैं उस पर एक किताब लिख सकता हूं…
अनुपम की तरह दोस्त हो, तो मैं मरने को तैयार – जावेद अख्तर
जावेद अख्तर और सतीश कौशिक का साथ 1970 से रहा है. स्टेज पर आते हुए जावेद अख्तर ने अनुपम खेर और सतीश कौशिक की दोस्ती की मिसाल देते हुए कहा कि अगर मेरा ऐसा कोई दोस्त होगा, तो अभी मैं मरने को तैयार हूं. मैं सतीश को हमेशा उसके बेहतरीन सेंस ऑफ ह्यूमर के लिए पहचानता हूं, वो जब भी कमरे में होता था, तो लोगों के चेहरे पर मुस्कान सी आ जाती थी. वो जितना मजाकिया था, उसके अंदर उतनी ही गहराई भी थी. स्टेज पर एक के बाद एक एक्टर्स नीना गुप्ता, जॉनी लीवर, शबाना आजमी, नादिरा बब्बर, रुमी जाफरी जैसे उनके करीबी ने अपनी दोस्ती के कितने किस्से शेयर किए हैं.
इस पूरी शाम को ललित कुमार ने अपनी म्यूजिक से सजाया था. इवेंट की शुरुआत सतीश कौशिक के पंसदीदा गाने से हुई और एक के बाद एक सिंगर्स ने उनसे जुड़े किस्से सुनाते हुए इस शाम को और दिलकश बना दिया था. इस मौके पर तलत अजीज, उदित नारायाण, साधना, अभिजीत, अरमान मलिक, पापोन ने गाना गाकर उन्हें अपने अंदाज में याद किया था.
और अंत में… एक पिता को बेटी की चिट्ठी
इवेंट जब अपने आखिरी पड़ाव पर था, तो वंशिका(सतीश कौशिक की बेटी) ने अपने पिता को लिखा आखिरी लेटर पढ़ा. अनुपम के साथ स्टेज पर खड़ी वंशिका लेटर पढ़ते हुए कहती है, हैलो पापा.. मुझे पता है कि आप नहीं हैं लेकिन मैं आपको यह बताना चाहती हूं कि मैं आपके लिए हमेशा रहूंगी. आपके सारे दोस्तों ने मुझे स्ट्रॉन्ग रहना सिखाया है लेकिन मैं आपके बिना नहीं सकती.. आपकी बहुत याद आती है.. अगर मुझे पता होता कि ये होने वाला है, मैं आपके साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताने के लिए स्कूल नहीं जाती.. काश मैं आपको एक बार गले लगा पाती..
लेकिन अब आप कहीं चले गए हैं.. आप हमेशा दिल में रहेंगे.. काश जैसे फिल्मों में दिखाते हैं, वैसा कोई जादू हो जाता और आप जिंदा हो जाते.. मुझे नहीं पता कि अब जब मां मुझे होमवर्क नहीं बनाने पर डांटेंगी, तो मैं क्या करूंगी..अब स्कूल जाने का भी मन नहीं करता है कि जो दोस्त मेरा मजाक उड़ाते हैं, उन्हें कैसे जवाब दूंगी..हर वक्त आपकी याद आती है.. मैंने आपके लिए पूजा भी की है क्योंकि मैं चाहती हूं कि आप हेवन में जाएं और खुश रहें.. वहां बड़े से बंगले में रहें और फरारी, बड़ी गाड़ियां चलाएं.. टेस्टी खाना खाएं.. कोई नहीं, हम 90 साल बाद मिलेंगे… प्लीज दोबारा जन्म मत लीजिएगा.. हम वहीं मिलेंगे.. प्लीज मुझे याद रखिऐगा.. मैं आपको हमेशा याद रखूंगी पापा.. जब भी आंखें बंद करती हूं और अपने दिल को छूती हूं, तो आप नजर आते हैं. मुझे सही दिशा दें ताकि मैं आगे बढ़ सकूं.. आप मेरी जिंदगी में हमेशा रहेंगे.. आई लव यू.. मुझे दुनिया के सबसे बेस्ट पापा मिले थे..