राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने दिल्ली में संत ईश्वर सम्मान 2021 कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘इन दिनों हम जय श्री राम का नारा बहुत जोश में लगाते हैं। इसमें कुछ भी बुरा नहीं है लेकिन हमें भगवान राम के पद चिन्हों पर भी चलना चाहिए।’
उन्होंने कहा, ‘अपना स्वार्थ छोड़कर लोगों की भलाई का काम करने का रास्ता कठिन होता है। दुनिया के तमाम देशों में जितने महापुरुष हुए होंगे उतने हमारे देश में सिर्फ 200 वर्षों में हुए हैं। इनमें से एक-एक का जीवन हमारे आंखों के सामने जीवन का सर्वांगीन राह उजागर करता है। लेकिन जब राह उजागर होती है तब उसके कांटे-कंकड़ भी दिखते हैं जिसके बाद हमारे जैसे लोग हिम्मत नहीं करते।
भागवत ने आगे कहा, ‘लोग ऐसे महापुरुषों की पूजा, जयंती, पुण्यतिथि , जयजयकार ये सब करेंगे, जैसे अभी जय श्री राम हम कहते हैं बड़े जोर से, हमें कहना भी चाहिए इसमें कोई बुरी बात नहीं है लेकिन श्रीराम जैसा होना भी चाहिए। हम सोचते हैं कि वो तो भगवान थे। अरे भरत जैसे भाई से श्रीराम ही प्रेम करेंगे हम क्यों करेंगे, क्योंकि हम तो नहीं कर सकते।’
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उन्होंने अपने संबोधन के दौरान कहा, ‘सामान्य व्यक्ति की यही प्रतिक्रिया रही है इसलिए उनके तेज में उजागर हुई राह पर चलने की हिम्मत देने वाले ये लोग होते हैं जो देखने में हमारे जैसे ही होते हैं, वो लोगों में अलौकिक नहीं होते और किसी प्रकार की अपेक्षा नहीं रखते हैं और अपना काम चुपचाप करते हैं।’
कार्यक्रम के दौरान मोहन भागवत ने देश के विकास को लेकर कहा, ‘इन 75 सालों में जितना आगे बढ़ना चाहिए था, हम उतना आगे नहीं बढ़े, देश को आगे ले जाने के रास्ते पर चलेंगे तो आगे बढ़ेंगे, उस रास्ते पर नहीं चले इसलिए आगे नहीं बढ़े।