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4-5 बोरियों में थे अधजले नोट, जस्टिस यशवंत वर्मा के घर के अंदर का वीडियो SC ने किया जारी

Yashwant Verma

Yashwant Verma

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा ( Yashwant Verma) की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही हैं। उनके घर में बड़ी मात्रा में कैश मिलने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की है। इस बीच जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास के अंदर का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें एक कमरे में अधजले 500 के नोटों का ढेर नजर आ रहा है। यह वीडियो सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया है।

रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस वर्मा ( Yashwant Verma) ने स्पष्ट रूप से कहा है कि घर के स्टोर रूम में उनके या उनके परिवार के किसी भी सदस्य ने कभी भी कोई नकदी नहीं रखी थी। वे इस बात का खंडन करते नजर आए कि कथित नकदी उनकी थी।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने दिल्ली हाईकोर्ट के वर्तमान जज जस्टिस यशवंत वर्मा ( Yashwant Verma) के विरुद्ध आरोपों की जांच करने के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की है, जिसमें पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जी.एस. संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की न्यायाधीश जस्टिस अनु शिवरामन शामिल हैं।

दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को फिलहाल जस्टिस यशवंत वर्मा को कोई न्यायिक कार्य न सौंपने के लिए कहा गया है। दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने अपनी रिपोर्ट दी है।

जज के सरकारी आवास में लगी आग से खुला बड़ा राज, कमरे से मिला कैश का पहाड़

दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा कि मैंने जस्टिस वर्मा से संपर्क किया, जो 17.3.2025 को सुबह करीब 8.30 बजे दिल्ली हाईकोर्ट गेस्ट हाउस में मुझसे मिले, जहां मैं फिलहाल रह रहा हूं। जस्टिस वर्मा ( Yashwant Verma) ने जवाब देते हुए कहा कि जिस कमरे में आग लगी थी, उसमें केवल कुछ फर्नीचर और गद्दे आदि जैसे अनुपयोगी घरेलू सामान रखे हुए थे।

उन्होंने यह भी बताया कि कमरे में नौकरों, माली और कभी-कभी सीपीडब्ल्यूडी के कर्मचारी भी आ-जा सकते थे। उन्होंने बताया कि घटना के समय वे भोपाल में थे और उन्हें यह जानकारी उनकी बेटी से मिली।

जस्टिस वर्मा ( Yashwant Verma) ने बताया कि इस समय कमरे में काला जला हुआ पदार्थ (कालिख) पड़ा हुआ है। इसके बाद मैंने उन्हें अपने व्हाट्सएप पर तस्वीरें और वीडियो दिखाए, जो पुलिस आयुक्त मुझे पहले ही भेज चुके थे। इसके बाद उन्होंने अपने खिलाफ किसी साजिश की आशंका जताई।

बता दें कि इससे पहले 2018 में गाजियाबाद की सिम्भावली शुगर मिल में गड़बड़ी के मामले में जस्टिस वर्मा के खिलाफ CBI ने FIR दर्ज की थी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स ने मिल में गड़बड़ी की शिकायत की थी। शिकायत में कहा था कि शुगर मिल ने किसानों के लिए जारी किए गए 97.85 करोड़ रुपए के लोन का गलत इस्तेमाल किया है।

जस्टिस वर्मा तब कंपनी के नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर थे। इस मामले में CBI ने जांच शुरू की थी। हालांकि जांच धीमी होती चली गई। फरवरी 2024 में एक अदालत ने CBI को बंद पड़ी जांच दोबारा शुरू करने का आदेश दिया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को पलट दिया और CBI ने जांच बंद कर दी।

 

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