आर्थिक अपराध अनुसंधान ने चित्रकूट की बरगढ़ पेयजल योजना में हुए घोटाले के मामले में एफआईआर दर्ज की है। यह एफआईआर शासन की अनुमति के बाद जल निगम व पावर कॉपोर्रेशन के 19 अधिकारी समेत 22 लोगों के खिलाफ दर्ज हुई है।
योजना में 22 करोड़ रुपये का गबन हुआ है। अफसरों के साथ जिंदल वाटर इंफ्रा के सीईओ, डायरेक्टर व ठेकेदार पर भी मुकदमा दर्ज किया गया है।
बताया जा रहा है कि बसपा के शासन काल में चित्रकूट में पेयजल योजना के तहत कार्य कराया गया था। इस कार्य के लिए जिंदल वाटर इंफ्रा को टेंडर मिला था। इस कार्य में भारी अनियमितता बरती गयी। घोटालेबाज अधिकारियों ने पाइप लाइन डालने से पहले ही करोड़ों के वाटर मीटर खरीद लिए। पेयजल योजना के तहत हुए कार्यों में जल निगम के अभियंताओं और ठेकेदारों के द्वारा 20 करोड़ रुपये डकार जाने का खुलाया हुआ तो इस घोटाले की जांच सरकार ने ईओडब्लू को सौंप दी।
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ईओडब्लू की लखनऊ ईकाई ने चित्रकूट जाकर जांच की और तमाम अधिकारी और कर्मचारियों के बयान दर्ज किये। जांच में खुलासा हुआ कि फर्म और जल निगम अभियंताओं ने करोड़ों रुपये की सरकारी रकम का गबन किया है। जांच में दोषी पाये जाने के बाद ईओडब्लू ने घोटाले के संबंध में शासन को रिपोर्ट •ोजी और इस मामले में एफआईआर दर्ज करने की अनुमति मांगी। शासन से हरी झंडी मिलने के बाद आर्थिक अपराध शाखा ने 22 करोड़ के गबन में ईओडब्ल्यू के लखनऊ स्थित थाने में एफआईआर दर्ज करायी दी।
जल निगम अभियंताओं और ठेकेदार समेत 22 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के बाद ईओडब्लू ने जांच शुरू कर दी है। जिन अधिकारियों के विरूद्ध एफआईआर दर्ज करायी गयी है उनमें जल निगम के अभियंता आरके बाजपेयी, एके सिंह, आरके त्रिपाठी, गिरीश चन्द्र, एमसी श्रीवास्तव, विनय पाल सिंह, जल निगम के आस्थाई निर्माण इकाई के प्रोजेक्ट मैनेजर आशाराम आर्या, राम बिहारी, एके भारतीय, बीपी निरंजन, एके अवस्थी, ओपी पाण्डेय, पीएन श्रीवास्तव, जेपी सिंह, यशवीर सिंह, डीके सिंह, पावर कारपोशन के अभियंता अंकुर यादव राजमणि विश्चकर्मा और जिंदल वाटर इन्फ्रा इस्ट्रक्चर के सीईओ ऋषभ सेट्टी और प्रबंध निदेशक ज्ञान बंसल और ठेकेदार नरेन्द्र कुमार गुप्ता शामिल हैं।
ईओडब्लू के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक इस घोटाले में सारे आरोपियों के विरूद्ध पर्याप्त सबूत हैं। शीघ्र ही आरोपियों की धपकड़ की जाएगी।