नई दिल्ली। कंप्यूटर सिमुलेशन के जरिए वैज्ञानिकों ने पहले से मौजूद एक ऐसी दवा का पता लगाया है, जिसका इस्तेमाल कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए हो सकता है। अभी तक इस दवा का इस्तेमाल बाइपोलर डिसऑर्डर और सुनने की क्षमता में कमी वाले मरीजों को दी जाती है।
वैज्ञानिकों ने पाया है कि यह दवा कोरोना को प्रतिकृति (रेप्लकेशन) बनाने से रोक सकती है। वायरस संक्रमित व्यक्ति के शरीर में अपनी संख्या बढ़ाकर ही श्वसन तंत्र पर हावी हो जाते हैं। जर्नल साइंस अडवांसेज में प्रकाशित अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि नोवल कोराना वायरस का मुख्य प्रोटीज Mpro ही वह अंजाइम है, जो इसके लाइफ साइकल में मुख्य भूमिका निभाता है।
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अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो सहित अन्य शोधकर्ताओं के मुताबिक Mpro वायरस को जेनेटिक मेटेरियल (RNA) से प्रोटीन बनाने की क्षमता प्रदान करता है और इसकी वजह से ही वायरस संक्रमित व्यक्ति के सेल्स में अपनी संख्या बढ़ाते हैं।
बायोलॉजिकल मोलिक्यूल्स के मॉडलिंग में विशेषज्ञता का इस्तेमाल करते हुए वैज्ञानिकों ने कोरोना के खिलाफ संभावित प्रभावी हजारों कंपाउंड्स की तेजी से जांच की। वैज्ञानिकों ने पाया कि Mpro के खिलाफ जिस दवा में संभावना नजर आई वह Eblselen है। यह एक केमिकल कंपाउंड है जिसमें एंटी वायरल, एंटी इंफ्लामेट्री, एंटी ऑक्सीडेटिव, बैक्ट्रीसिडल और सेल प्रोटेक्टिव प्रॉपर्टीज है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक इसका इस्तेमाल बाइपोलर डिसॉडर और सुनने की क्षमता कम होने सहित कई बीमारियों के इलाज में होता है। कई क्लीनिकल ट्रायल में यह दवा मानव के इस्तेमाल के लिए सुरक्षित साबित हो चुकी है।