दिल्ली हिंसा मामले में फेसबुक इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट अजीत मोहन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फेसबुक इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट अजीत मोहन के खिलाफ दिल्ली विधानसभा समिति की कार्यवाही को रद्द करने से इनकार कर दिया, जिसमें उन्हें दिल्ली हिंसा मामले के संबंध में जवाब देने के लिए बुलाया गया था।
अब इस फैसले के बाद अजीत मोहन को दिल्ली विधानसभा की समिति के सामने पेश होना ही होगा। बता दें कि दिल्ली विधानसभा की शांति व सौहार्द समिति की ओर से भेजे गए समन के खिलाफ फेसबुक इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट अजीत मोहन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी लेकिन अब इस फैसले से उन्हें निराशा हाथ लगी है।
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फैसला देते हुए कहा कि दिल्ली विधानसभा, फेसबुक और उसके अधिकारियों से दिल्ली दंगों में उसकी कथित भूमिका के बारे में जानकारी मांग सकती है लेकिन वह कानून- व्यवस्था के मुद्दे पर नहीं जा सकती और अभियोजक के रूप में कार्य नहीं कर सकती। जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिल्ली विधानसभा की शांति और सद्भाव समिति द्वारा जारी समन के मद्देनजर फेसबुक और उसके उपाध्यक्ष अजीत मोहन द्वारा की गई दंडात्मक कार्रवाई की आशंका को ‘प्रीमैच्योर’ करार दिया।
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शीर्ष अदालत ने कहा कि दिल्ली विधानसभा, केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्रों में दखल दिए बिना फेसबुक से जानकारी प्राप्त कर सकती है। अदालत ने कहा कि फरवरी, 2020 में दिल्ली के उत्तर पूर्व इलाके में हुए दंगों के संबंध में आपराधिक कार्रवाई पहले से ही ट्रायल कोर्ट के समक्ष लंबित है। शीर्ष अदालत का यह फैसला अजीत मोहन द्वारा दायर एक रिट याचिका पर आया है जिसने विधानसभा के पैनल द्वारा समन की वैधता को चुनौती दी गई थी। फेसबुक का कहना था कि उनके पास चुप रहने का अधिकार है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि दिल्ली विधानसभा कुछ चीजों को छोड़कर किसी भी अन्य विधानसभा की तरह है और उसे गैर-सदस्यों को बुलाने का शक्ति सहित अन्य विशेषाधिकार शक्ति प्राप्त है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि फेसबुक के अधिकारी उन सवालों के जवाब नहीं देने का विकल्प चुन सकते हैं जो विधानसभा के दायरे से बाहर है।
आप विधायक राघव चड्ढा की अध्यक्षता में शांति और सद्भाव समिति का गठन दो मार्च, 2020 को दिल्ली दंगों के बाद किया गया था क्योंकि ‘नफरत और विभाजन फैलाने के लिए एक तंत्र के रूप में फेसबुक प्लेटफॉर्म की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए गए थे।शीर्ष अदालत ने हालांकि चड्ढा द्वारा दिए गए उन बयानों पर नाराजगी व्यक्त की कि फेसबुक को आरोपी के रूप में नामित किया जाना चाहिए और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के अधिकारियों को सुने बिना दंगों में मुकदमा चलाया जाना चाहिए।