• About us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Contact
24 Ghante Latest Hindi News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
No Result
View All Result

चीन में बच्चों की सजा पर लगाई मुहर, 11वां संशोधन प्रस्ताव पारित

Desk by Desk
27/12/2020
in Main Slider, अंतर्राष्ट्रीय, क्राइम, ख़ास खबर, राजनीति
0
चीन में बच्चों की सजा पर मुहर Seal on punishment of children in China

चीन में बच्चों की सजा पर मुहर

14
SHARES
176
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

13वें नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की स्टैंडिंग कमेटी ने आपराधिक कानून से संद्ध 11वां संशोधन प्रस्ताव पारित कर दिया। इसके तहत अब चीन में अब 12 साल के उन बच्चों को भी कड़ी सजा सुनाई जा सकेगी जो हत्या के मामलों में शामिल हों या जिनके प्रहार से किसी को ऐसी चोट लगे जिससे कि उसकी जान संकट में पड़ जाए।

दरअसल चीन में अपराध पर अंकुश लगाने के लिहाज से निर्धारित आयु वर्ग में इस तरह का बदलाव किया गया है। पहले यह आयु सीमा 14 वर्ष थी जो अब दो साल और कम कर 12 वर्ष कर दी गई है। वर्ष 1997 में चीन में अपराधी करार दिए जाने की न्‍यूनतम उम्र 14 वर्ष निर्धारित की गई थी लेकिन हाल के दौर में नाबालिगों द्वारा किए जाने वाली आपराधिक घटनाओं को देखते हुए ऐसा करना आवश्यक हो गया था।

वर्ष 2019 में डालियां के उत्‍तरपूर्वी शहर में 13 साल के एक बच्‍चे ने 10 साल की बच्‍ची के साथ न केवल दुष्‍कर्म का प्रयास किया था बल्कि उसकी हत्या भी कर दी थी। ऐसे अपराध के बाद भी उस बच्‍चे की कम उम्र को देखते हुए उसे जेल भेजकर सजा नहीं दी गई और 3 साल के लिए उसे केवल पुनर्वास केंद्र में भेज दिया। यह और बात है कि उसके माता-पिता को 1.28 मिलियन युआन का हर्जाना पीड़ित परिवार को देने का आदेश दिया गया।

चीन: युवक ने छुरा मारकर की सात लोगो की हत्या, गिरफ्तार

एमनेस्टी इंटरनेशनल की 2013 की रिपोर्ट पर गौर करें तो विश्व के 8 देशों चीन, ईरान, सऊदी अरब, नाइजीरिया, पाकिस्तान, कांगो, सूडान और यमन में बाल अपराधियों के लिए मौत की सजा का प्रावधान है। उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन जितने कठोर हैं उतना ही कठोर वहां का कानून भी है। ऐसी घटना को अंजाम देने वालों के लिए केवल एक ही सजा है मौत। वहां सरेआम बलात्कारी को गोलियों से भून दिया जाता है।

इस बात का विचार नहीं किया जाता कि वह बालक है या वयस्क, उसका दुराचारी होना ही पर्याप्त है। वहां मानवाधिकार का विचार नहीं किया जाता। यूएई के कानून के मुताबिक ऐसा अपराध करने वालों को सात दिन के अंदर फांसी दे दी जाती है जबके सऊदी अरब में इस्लामिक कानून शरिया को मान्यता दी गई है। यहां दोषी को फांसी पर लटकाने, सिर कलम करने के साथ-साथ, यौन अंग को काटने की भी सजा सुनाई जा सकती है।

इराक में बलात्कारी को तब तक पत्थर मारकर यातना दी जाती है जबतक उसकी मौत न हो जाए। पोलैैंड में ऐसे लोगों को जंगली जानवरों से कटवाने से लेकर नपुंसक बनाने तक का प्रावधान है। इंडोनेशिया में आरोपी को नपुंसक बनाने के साथ ऐसे अपराधियों के अंदर महिलाओं के हार्मोन्स डालने का प्रावधान है जबकि चीन में ऐसे आरोप साबित होने के बाद आरोपी को तुरंत फांसी दे दी जाती है। सवाल उठता है कि क्या बच्चों की उम्र का विचार नहीं किया जाना चाहिए या उन्हें सुधरने या समाज की मुख्यधारा में लौटने का अवसर नहीं मिलना चाहिए। इस बावत दन देशों का कानून और कानूनविद दोनों ही मौन हैं।

वर्ष 2012 में भारत में यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण के लिए पॉक्सो एक्ट बनाया गया। इस कानून के जरिए नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कारवाई की जाती है। हाल ही में इस कानून में संशोधन भी हुआ है। नए कानून के तहत 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों (लड़का-लड़की) के साथ दुषकर्म करने पर मौत की सजा तक का प्रावधान है लेकिन व्‍यावहारिकता इससे अलग है।

कानून के ढीले रवैये की वजह से अन्य देशों की तुलना में ऐसे अपराध का ग्राफ भारत में तेजी से बढ़ रहा है। देश को अभी भी सख्त कानून और ऐसे आपराधिक मामलों पर कड़े फैसलों का इन्तजार है। वरना निर्भया, आसिफा, ट्विंकल जैसे नाम सूची में बढ़ते ही रहेंगे। बलात्कार, हत्या जैसी घटनाएं देश में इतनी आम हो चुकी हैं कि आए दिन अखबार के पन्नों पर ऐसी खबरें दिख ही जाती हैं।

फर्क इतना है कि कुछ मामले मजहब के कारण तूल पकड़ लेते हैं और कुछ जातीय या अन्‍य राजनीति के कारण हाशिए पर चले जाते हैं। जम्मू कश्मीर के कठुआ जिले के रसाना गांव में रहने वाली आठ साल की आसिफा को यह नहीं पता था कि उसका लड़की होना गुनाह हो जाएगा। मासूम आसिफा के माता-पिता इस बात से अंजान थे कि जानवरों को चराने जा रही बेटी से उनकी आखिरी बार मुलाकात हो रही है क्योंकि कुछ जानवर उसे चरने के लिए जंगल में पहले से ही तैयार बैठे हैं।

मंदिर जैसी पवित्र जगह पर भूख से तड़पती, नशीली दवाओं की डोज से सुन्न पड़ गई मासूम न चीख सकती थी न ही कुछ महसूस कर सकती थी। शायद ईश्वर के स्थान पर मौजूद उस लड़की का दर्द खुद ईश्वर भी नही महसूस कर पाया, तभी तो इतनी दरिंदगी के बाद भी उसका गला दबाया गया फिर सर पर दो बार पत्थर मारा गया, यह तय करने के लिए कि वो मर चुकी है या नही। इतनी बर्बरता से हुए इस जघन्य अपराध के बाद जनाक्रोश इतना बढ़ गया था कि देशभर की जनता दोषियों को फांसी पर लटकाने की मांग को लेकर सड़क पर उतर आई थी। लेकिन हर बार की तरह इस बार भी देश का कानून समय की मांग कर बैठा।

पूरी जांच पड़ताल कर एक साल बाद तीन दोषियों को उम्रकैद और दो को पांच-पांच साल की सजा सुनाई गई। एक को बरी कर दिया गया। सवाल यह उठता है कि क्या ऐसे निर्मम अपराध के लिए यह सजा काफी है? या उन खूनी अपराधियों के लिए सुकून है कि कम से कम उनकी जान सलामत रहेगी? यूपी के अलीगढ़ के टप्पल में मासूम ट्विंकल शर्मा को चंद पैसों की दुश्मनी का शिकार होना पड़ा।

हत्या से पहले ट्विंकल को इतना पीटा गया कि उसकी हाथ पैर की पसलियां टूट गईं। आंखों के टीशू तक डैमेज हो गए। इस मामले में जिन दो लोगों को आरोपी बनाया गया है उनमें से एक पर पहले से गंभीर आरोप हैं। पुराने मामले में पुलिस की ढ़ीली कारवाई के कारण आरोपी में एक बार फिर जुल्म करने का हौसला आया। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में बलात्कार-हत्या को लेकर कानून इतना ढीला है, जबकि अन्य देशों में इस बर्बरता की सजा सुनकर रोंगटे खड़े उठते है।

दिल्ली के निर्भया कांड में बताते हैं कि एक नाबालिग भी था जबकि सबसे ज्यादती उसी ने की थी। हाल फिलहाल किशोरों द्वारा किए जाने वाले अपराधों में वृद्धि चौंकाने वाली है। ऐसे में कुछ तो सोचना ही होगा लेकिन भारत चीन जितना निर्मम नहीं हो सकता। उसकी बच्चा विरोधी नीति किसी से छिपी नहीं है। बच्चों को दंड दिया जाना चाहिए लेकिन विवेक के साथ। हर अपराधी को सुधरने का एक मौका तो मिलना ही चाहिए। कभी—कभी द्वेषवश भी बच्चों आपराधिक मामलों में फंसा दिए जाते हैं। इसलिए भी निर्णय में जल्दबाजी ठीक नहीं है।

 

Tags: 13th National People’s Congress13वें नेशनल पीपुल्स कांग्रेसChinaChina stamped punishment on childrenSeal on punishment of children in Chinaआपराधिक कानून से संद्ध 11वां संशोधन प्रस्ताव पारितचीन ने बच्चों को सजा पर लगाई मुहरचीन में बच्चों की सजा पर मुहर
Previous Post

आइटीबीपी ने जवानों के लिए पहली बार शुरू की ऑनलाइन शराब वितरण व्यवस्था

Next Post

संदिग्ध हालात में महिला ने गंगा में लगाई छलांग, अस्पताल में भर्ती

Desk

Desk

Related Posts

CM Vishnu Dev Sai
राजनीति

प्रत्येक क्षेत्र में विकास की अपार संभावनाएं : साय

09/06/2025
CM Yogi
उत्तर प्रदेश

22 हजार करोड़ से गांवों का कायाकल्प करेगी योगी सरकार

09/06/2025
IIM organised a chintan shivir for Sai Sarkar
Main Slider

IIM ने साय सरकार के लिए लगाया चिंतन शिविर, नवाचार की आधुनिक तकनीकों पर हुआ गहन विचार-विमर्श

09/06/2025
divyangjan
उत्तर प्रदेश

दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भरता से जोड़ रही योगी सरकार

09/06/2025
CM Vishnu Dev Sai
क्राइम

सीएम विष्णुदेव साय ने शहीद एएसपी गिरपुंजे को दी श्रद्धांजलि

09/06/2025
Next Post
नदी में लगाई छलांग

संदिग्ध हालात में महिला ने गंगा में लगाई छलांग, अस्पताल में भर्ती

यह भी पढ़ें

Tulsi

तुलसी पूजा में इन बातों का जरूर रखें ध्यान

16/11/2023
zodiac signs

इन पर करें आंख मूंदकर भरोसा, होते है बेहद ईमानदार

18/09/2024
navel

नाभि का कालापन दूर करने के लिए ट्राई करें ये टिप्स

27/05/2025
Facebook Twitter Youtube

© 2022 24घंटेऑनलाइन

  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म

© 2022 24घंटेऑनलाइन

Go to mobile version