Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

डीयू में संस्कृत भाषा में कम कटऑफ के बाद भी सीटें खाली

नई दिल्ली| नई शिक्षा नीति में न केवल संस्कृत बल्कि भारतीय भाषाओं व उनमें शिक्षा पर काफी जोर है। लेकिन डीयू में पिछले कई साल से देववाणी कही जाने वाली संस्कृत में कॉलेजों द्वारा मामूली कटऑफ रखने पर भी मुश्किल से सीटें भर पाती हैं। स्पेशल कटऑफ के बाद भी कई कॉलेजों में इन विषयों में सीटें खाली रहने की बात सामने आई है।

इस बार भी चार कटऑफ निकालने के बाद डीयू ने पांचवीं कटऑफ भी निकाल दिया है जिसका दाखिला सोमवार से है। यहां 14 कॉलेजों में संस्कृत में सीटें खाली हैं। तीन कॉलजों ने तो अपने यहां सामान्य वर्ग की कटऑफ 45 फीसदी रखी है लेकिन यह संभावना है कि पांच कटऑफ के बाद भी इन कॉलेजों में सीटें खाली रहने वाली हैं।

बाबा साहब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में दाखिले जारी

कमोबेस सभी भारतीय भाषाओं की डीयू में यही स्थिति है। कई कॉलेजों में तो भाषा के शिक्षकों की सेवानिवृत्ति के बाद वहां दोबारा शिक्षकों की भर्ती ही नहीं हुई।

यही नहीं बीए प्रोग्राम में तो प्रमुख सोशल साइंस के साथ संबद्ध भाषा की सीटें खाली हैं। क्योंकि उसमें छात्र छात्राएं रुचि नहीं दिखा रहे हैं। हर साल साइंस व सोशल साइंस के विषयों में कटऑफ ऊंची जाती है लेकिन नामी कॉलेज भी अपने यहां हिंदी और संस्कृत में कटऑफ कम रखते हैं फिर भी यहां सीटें नहीं भर पाती हैं।

कम कॉलेजों में पंजाबी भाषा है लेकिन यहां भी पंजाबी की कटआफ श्री गुरुगोबिंद सिंह कॉलेज ऑफ आर्ट एंड कामर्स में 54 फीसदी तथा श्री गुरु नानक देव खालसा कॉलेज में कटऑफ 50 फीसदी रखी गई है। उर्दू में सत्यवती कॉलेज ने 57 कटऑफ रखी है।

Exit mobile version