सहारा समूह की दो कंपनियों से 62,602.90 करोड़ रूपए के भुगतान के निर्देश के लिये बाजार नियामक सेबी ने उच्चतम न्यायालय में आवेदन दायर किया है। सेबी ने कहा है कि अगर ये कंपनियां न्यायालय के पहले के आदेशों पर अमल करते हुये इस धनराशि का भुगतान करने में विफल रहती हैं तो सहारा समूह के मुखिया सुब्रत राय को हिरासत में लिया जाना चाहिए।
सेबी ने कहा है कि अवमाननाकर्ता रॉय और उनकी दो कंपनियां-सहारा इंडिया रियल इस्टेट कॉर्पोरेशन लि और सहारा हाउसिंग इंवेस्टमेन्ट कॉर्पोरेशन लि- निवेशकों से एकत्र की गयी सारी राशि ब्याज के साथ जमा कराने के बारे में न्यायालय के विभिन्न आदेशों का घोर उल्लंघन कर रहे हैं।
सेबी ने कहा है कि सुब्रत राय और उनकी कंपनियों को कई बार राहत प्रदान किये जाने के बावजूद उन्होंने इस न्यायालय के आदेशों की अवहेलना की है और उनका अनुपालन करने में विफल रहे हैं।
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न्यायालय में लंबित मामले में हस्तक्षेप के लिये 18 नवंबर को दाखिल आवेदन में सेबी ने कहा कि अवमाननाकर्ता लंबी ढील दिये जाने के बावजूद इस न्यायालय के आदेशों का अनुपालन नहीं कर रहे हैं और उनकी देनदारियां रोजाना बढ़ती जा रही हैं।
आवेदन में कहा गया है कि न्यायालय द्वारा 6 मई, 2016 के आदेश के तहत, जिसे समय समय पर बढाया गया, अवमाननाकर्ता, हिरासत से दी गयी रिहाई का आनंद ले रहे हैं लेकिन उन्होंने इस न्यायालय के आदेशों पर अमल का कोई प्रयास नहीं किया है।
सेबी ने न्यायालय से अनुरोध किया है कि इस साल 30 सितंबर की स्थिति के अनुसार देय 62,602.90 करोड़ रूपए की धनराशि सेबी-सहारा रिफंड खाते में तत्काल जमा कराने का निर्देश सहारा को दिया जाये।सेबी ने कहा है कि ऐसा करने में विफल रहने पर अवमाननाकर्ताओं को शीर्ष अदालत के 15 जून,2015 के फैसले में दिये गये निर्देशों के अनुसार हिरासत में लिया जाये।
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शीर्ष अदालत ने 31 अगस्त 2012 को सहारा समूह की दोनों कंपनियों को निवेशकों से ली गयी धनराशि 15 प्रतिशत ब्याज सहित वापस करने के लिये यह रकम सेबी के पास जमा कराने के बारे में अनेक निर्देश दिये थे।