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प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान का दूसरा दिन, आज गर्भगृह में पधारेंगे रामलला

Ramlala Pran Pratishtha

ramlalla

अयोध्या। रामलला के प्राण प्रतिष्ठा (Ramlala Pran Pratistha) के अनुष्ठान का आज दूसरा दिन है। अनुष्ठान के तहत आज रामलला (Ramlala) की नई मूर्ति को मंदिर के अंदर ले जाया जाएगा। जलयात्रा, तीर्थपूजन, ब्राह्मण-बटुक-कुमारी-सुवासिनी पूजन, वर्धिनीपूजन और कलशयात्रा के बाद आज भगवान रामलला की मूर्ति का प्रसाद परिसर में भ्रमण होगा।

प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान का आज दूसरा दिन

प्राण प्रतिष्ठा (Ramlala Pran Pratistha) समारोह के मुख्ययजमान डॉ.अनिल मिश्र को बुधवार को काशी के वैद्यिक आचार्य ने दस विधि स्नान कराया। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य यजमान डॉ. अनिल मिश्र 11 दिनों तक नियम-संयम का पालन करेंगे।

वे दस दिनों तक सिला हुआ सूती वस्त्र नहीं पहनेंगे। स्वेटर, ऊनी शॉल, कंबल धारण कर सकेंगे। केवल फलाहार करेंगे। रात्रि आरती के बाद सात्विक भोजन, सेंधा नमक का इस्तेमाल करेंगे। जमीन पर कुश के आसन पर सोएंगे। अन्य कई कठोर नियमों का उन्हें पालन करना होगा। उन्होंने यह नियम-संयम मकर संक्रांति से शुरू भी कर दिया है।

गर्भगृह में प्रवेश करेंगे रामलला (Ramlala)

आज रामलला की मूर्ति परिसर में प्रवेश करेगी और मूर्ति को परिसर का भ्रमण कराया जाएगा। रामलला की मूर्ति भ्रमण को लेकर जन्म भूमि ट्रस्ट चीजों को गोपनीय रख रहा है। मूर्ति किसी को दिखाई ना पड़े। इस वजह से पीले रंग के कपड़े से ट्रक को ढक दिया गया है। माना जा रहा है इसी ट्रक से आज किसी भी समय मूर्ति निकाली जा सकती है। इसके बाद मूर्ति मंदिर परिसर में दाखिल की जाएगी। ट्रक के आस पास भी पुलिसकर्मी लगाए गए हैं।

पहली बार दर्शन पर ऐसे दिखेंगे रामलला (Ramlala)

घुटनों के बल चलने वाले साल डेढ़ साल के रामलला की मूर्ति हम सभी ने देखी है, लेकिन ये अपने आप में बेहद अनोखी ऐसे होगी कि राम लला 5 साल के होंगे लेकिन हाइट सवा 5 फुट की होगी।

अनुष्ठान के पहले दिन क्या हुआ?

16 जनवरी को मुख्यतः कर्मकुटी पूजन किया गया। मण्डप में वाल्मीकि रामायण और भुशुण्डिरामायण का पारायणारम्भ हुआ। वैदिक विद्वान आचार्य श्री गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने बताया कि अनिल मिश्रा ने सांगोपांग सर्व प्रायश्चित्त किया और सरयू नदी में स्नान किया।

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विष्णुपूजन करके पञ्चगव्य एवं घी से होम कर पंचगव्यप्राशन किया। द्वादशाब्द पक्ष से प्रायश्चित स्वरूप गोदान किया। दशदान के पश्चात मूर्ति-निर्माण स्थान पर कर्मकुटी होम किया। मण्डप में वाल्मीकि रामायण और भुशुण्डिरामायण का पारायणारम्भ हुआ।

 

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