कोरोना काल में वित्तीय दबाव के चलते खर्चे कम करने के लिये विद्युत अभियन्ता संघ ने उपाय सुझाते हुए मांग की है कि ऊर्जा निगमों में निदेशकों को रिक्त पदों पर होने वाले सभी चयनों में विभागीय अभियन्ताओं की ही नियुक्ति की जाये जिससे ऊर्जा निगमों पर कोई अतिरिक्त व्यय भार न पड़े।
संघ के अध्यक्ष वीपी सिंह एवं महासचिव प्रभात सिंह ने शनिवार को जारी बयान में कहा कि ऊर्जा निगमों में निदेशक के रिक्त पदों पर गैर-विभागीय अभ्यर्थियों की नियुक्ति न कर विभागीय आंतरिक अभ्यर्थियों की नियुक्ति किये जाने की मांग समय-समय पर की जाती रही है। संज्ञान में आया है कि जल्द ही ऊर्जा निगमों में निदेशक के रिक्त पदों पर नियुक्तियां होनी है जिसके चलते सरकार से फिर आग्रह किया गया है।
उन्होंने बताया कि विगत वर्षों में ऊर्जा निगमों में आन्तरिक विभागीय अभियन्ताओं को वरीयता न देकर अन्य राज्यों और केन्द्र सरकार के उपक्रमों जैसे उड़ीसा, महाराष्ट्र, पावर ग्रिड, एनटीपीसी में अभियन्ताओं को निदेशक पदों पर चयनित किया गया मगर विभाग एवं प्रदेश सरकार की कार्य प्रणाली से अनभिज्ञ होने के कारण इन गैर-विभागीय निदेशकों द्वारा कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं किया जा सका।
मस्जिद के डिजाइन को इकबाल अंसारी ने किया खारिज, कहा- इसमें भारत की छवि नहीं झलकती
मुख्य सचिव को प्रेषित पत्र में कहा गया है कि गैर-विभागीय निदेशकों की कार्य प्रणाली से कई माहों तक भ्रम, अनिर्णय एवं प्रशासनिक अव्यवस्था की स्थिति बनी रहती है तथा इन निदेशकों द्वारा विभागीय अभियन्ताओं पर अविश्वास करते हुए उन्हें समय-समय पर अपमानित भी किया जाता है जिससे कार्यरत अधीनस्थ विभागीय अभियन्ताओं के मनोबल पर विपरीत असर पड़ता है। इसके अतिरिक्त गैर विभागीय अथवा बाहर से नियुक्त किये गये निदेशकों के लिये उनके कार्यालय, वेतन, भत्तों, एचआरए, चिकित्सा, वाहन आदि पर अतिरिक्त व्यय होता है जिसका बोझ अन्ततः विभाग पर ही पड़ता है, जबकि विभागीय अभियन्ताओं की निदेशक पद पर नियुक्ति करने से विभाग पर कोई अतिरिक्त व्यय भार नहीं आता है।
इसके दृष्टिगत वर्तमान कोरोना काल में वित्तीय दबाव के चलते यह समीचीन है कि खर्चे कम करने के हर सम्भव प्रयास किये जायें एवं इस कड़ी में ऊर्जा निगमों में निदेशक पदों पर मात्र विभागीय अभियन्ताओं का चयन कर इस मद में होने वाले खर्चे न्यूनतम किये जा सकते हैं।