प्रधानमंत्री मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के जरिये ‘आत्मनिर्भर नारी-शक्ति से संवाद’ कार्यक्रम में दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) से जुड़े चार लाख से अधिक महिला स्व-सहायता समूहों (एसएचजी) की महिला सदस्यों को 1,625 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता राशि जारी की।
इसके अलावा उन्होंने पीएमएफएमई (पीएम फॉर्मलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइसेज) के तहत आने वाले 7,500 स्व-सहायता समूहों को 25 करोड़ रुपये की आरंभिक धनराशि भी जारी की। यह खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की योजना है। इसी तरह मिशन के तहत आने वाले 75 किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को 4.13 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की।
प्रधानमंत्री ने महिलाओं की 75 प्रेरणादायक कहानियों के संग्रह पर एक किताब का विमोचन किया। प्रधानमंत्री ने इस दौरान मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, तमिलनाडु और मणिपुर सहित कई राज्यों की महिलाओं से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि जब नारी सशक्त होती है तो परिवार ही नहीं देश और समाज भी सशक्त होता है।
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प्रधानमंत्री ने इस दौरान कहा कि कोरोना काल में महिलाओं के स्व-सहायता समूहों की अभूतपूर्व सेवाओं के लिए उनकी सराहना की। मोदी ने कहा कि महिलाओं में उद्यमिता का दायरा बढ़ाने और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प में अधिक भागीदारी के लिए रक्षा बंधन से पहले 4 लाख से अधिक स्व-सहायता समूहों को बड़ी वित्तीय सहायता दी गई है। उन्होंने कहा कि स्व-सहायता समूह और दीन दयाल अंत्योदय योजना से ग्रामीण भारत में एक नई क्रांति आई है। महिला स्व-सहायता समूहों का यह आंदोलन पिछले 6-7 वर्षों में तेज हुआ है। उन्होंने कहा कि आज देश भर में 70 लाख स्व-सहायता समूह हैं जो 6-7 वर्षों के आंकड़े से तीन गुना अधिक है।
महिला सशक्तिकरण को लेकर पिछली सरकारों पर ढुलमुल रवैया अपनाने को लेकर निशाना साधते हुए कहा कि हमारी सरकार आने से पहले करोड़ों बहनों के पास बैंक खाता तक नहीं था, वे बैंकिंग प्रणाली से मीलों दूर थीं। इसलिए हमने सबसे पहले जनधन खाते खोलने का बहुत बड़ा अभियान शुरू किया। उन्होंने कहा कि आज 42 करोड़ से अधिक जन धन खाते हैं, जिनमें से करीब 55 प्रतिशत खाते महिलाओं के हैं। मोदी ने कहा कि अब रसोई के डिब्बे में नहीं बल्कि बैंक खाते में जमा हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि बैंकों से कर्ज लेना आसान बनाने के लिए बैंक खाते खोले गए।
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प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत बहनों के लिए जितनी मदद की है, वह पिछली सरकार से कई गुना ज्यादा है। स्व-सहायता समूहों को लगभग 4 लाख करोड़ रुपये का असुरक्षित ऋण भी उपलब्ध कराया गया है। उन्होंने कहा कि पिछले 7 वर्षों में स्व-सहायता समूहों ने भी बैंकों को चुकाने का अच्छा काम किया है। एक समय था जब 9 प्रतिशत के करीब बैंक ऋण एनपीए बन गए थे। अब यह घटकर 2-3 प्रतिशत पर आ गया है।
प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि अब बिना गारंटी के स्व-सहायता समूहों को उपलब्ध ऋण की सीमा को दोगुना कर 20 लाख रुपये कर दिया गया है। बचत खातों को ऋण खाते से जोड़ने की शर्त को भी समाप्त कर दिया गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि और कृषि आधारित उद्योग में महिला स्व-सहायता समूहों के लिए अनंत संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि एक विशेष कोष बनाया गया है ताकि स्व-सहायता समूह भी इस कोष से मदद लेकर कृषि आधारित इन सुविधाओं का निर्माण कर सकें। सभी सदस्य उचित दर निर्धारित करके इन सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं और दूसरों को किराए पर भी दे सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार भारत में बने खिलौनों को भी बढ़ावा दे रही है और इसके लिए हर संभव मदद भी कर रही है। खासकर हमारे आदिवासी क्षेत्रों की बहनें जो परंपरागत रूप से इससे जुड़ी हैं। उन्होंने कहा कि इसमें भी स्वयं सहायता समूहों की काफी संभावनाएं हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त करने के लिए आज का अभियान जारी है। इसमें स्वयं सहायता समूहों की दोहरी भूमिका होती है। प्रधानमंत्री ने स्व-सहायता समूह से राष्ट्र निर्माण के अपने प्रयासों को अमृत महोत्सव से भी जोड़ने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि 8 करोड़ से अधिक बहनों-बेटियों की सामूहिक शक्ति से अमृत महोत्सव को नई ऊंचाइयों पर ले जाया जाएगा।