नई दिल्ली। दिल्ली दंगों की आरोपी गुलफिशा उर्फ गुल ने पुलिस को दिए अपने बयान में सनसनीखेज खुलासा किया है। गुल ने कहा कि डीयू के प्रोफेसर अपूर्वानंद ने दंगों की साजिश रची थी। उसने कहा कि दिल्ली दंगों को अंजाम देने के लिए बुर्के वाली महिलाओं की टीम तैयार की गई थी।
यही नहीं, आरोपी महिला के मुताबिक, “प्रोफेसर अपूर्वानंद ने दंगे करवाने के बाद तारीफ भी की थी। कहा था कि अच्छा काम किया है, लेकिन पुलिस के पकड़े जाने पर मेरा और पिंजड़ा तोड़ की सदस्यों का नाम मत लेना। महिलाओं को चिली पाउडर लाने के लिए कहा गया था।”
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गुलफिशा के खुलासे के मुताबिक, उर्फ गुल ने दंगों के लिए Whatsapp पर दो ग्रुप बनाए थे जिनका नाम औरतों का इंकलाब, वॉरियर था। इन्हीं ग्रुप के जरिये योजना बनती थी। आरोपी महिला गुलफिशा ने बताया कि साजिश के तहत वो खुद बुर्के वाली महिलाओं और बच्चों को गली-गली जाकर नागरिकता कानून और NRC के खिलाफ इस कदर भड़काती थी कि महिलाएं प्रोटेस्ट में आने के लिए राजी हो जाती थीं। महिलाओं को प्रदर्शन में जोड़ने की वजह ये होती थी कि पुलिस महिलाओं को जबरन नहीं उठाएगी, जैसा शाहीन बाग में हो रहा था। अगर पुलिस महिलाओं को उठाने की कोशिश भी करेगी तो माहौल खराब हो जाएगा, जिससे इनको फायदा होगा।
गुलफिशा के मुताबिक, उसकी दोस्ती डीयू के पिंजड़ा तोड़ ग्रुप की सदस्य देवांगना और परोमा राय से हुई थी। इनके जरिये पिंजड़ा तोड़ ग्रुप को गाइड करने वाले डीयू के प्रोफेसर अपूर्वानंद और राहुल रॉय से मेरी मुलाकात हुई। राहुल रॉय के जरिये मुलाकात उमर खालिद से हुई। तभी दिसम्बर में प्रोफेसर अपूर्वानंद और राहुल रॉय ने हमे समझाया कि नागरिकता कानून की आड़ में हम सरकार के खिलाफ बगावत का माहौल बना सकते हैं और सरकार को घुटने पर ला सकते हैं, इसलिए हमें इसका विरोध करना है। आरोपी गुलफिशा ने बताया कि प्रोफेसर अपूर्वानंद ने उसको कहा कि जामिया कॉर्डिनेशन कमिटी (जेसीसी) दिल्ली में 20-25 जगह पर आंदोलन शुरू कर करवा रही है। इन आंदोलन का मकसद भारत सरकार की छवि को ऐसे प्रस्तुत करना है जैसे ये मुसलमानों के खिलाफ है। ये तभी होगा जब हम प्रदर्शन की आड़ में दंगे करवाएंगे।
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आरोपी गुलफिशा ने पुलिस को दिए बयान में बताया कि उसको (जेसीसी) के साथ मिलकर सीलमपुर इलाके में 24 घण्टे के प्रदर्शन करने के लिए जगह देखने के लिए कहा गया। फिर जगह डिसाइड की और पिंजड़ा तोड़ ग्रुप की सदस्य देवांगना कलिता, नताशा नारवाल और परोमा रॉय आदि की मदद से 5 जनवरी से सीलमपुर फ्रूट मंडी में प्रदर्शन शुरू किया और इस धरने के लिए गुड्डू चौधरी और तस्लीम अहमद ने साथ दिया। आरोपी गुलफिशा के मुताबिक फ्रूट मंडी सीलमपुर में प्रदर्शन शुरू होने के बाद जेसीसी के सदस्य हर तरह से मदद करते थे। सफूरा और मिरान हैदर हमारे और दूसरे प्रदर्शन को कॉर्डिनेट करते थे। उमर खालिद भी हमे पैसों से मदद करते थे और भीड़ को भड़काऊ भाषण देते थे जिससे लोग धरने में जुड़े रहते थे।
उमर खालिद ने कहा था, मोदी सरकार को उखाड़ फेंकेंगे
आरोपी महिला के मुताबिक, “हम सीक्रेट जगह पर मीटिंग करते थे जिसमे प्रोफेसर अपूर्वानंद, उमर खालिद और अन्य सदस्य शामिल होते थे। उमर खालिद ने कहा था कि उसके PFI और JCC से अच्छे सम्बंध है। पैसों की कमी नहीं है। हम इनकी मदद से मोदी सरकार को उखाड़ फेंकेगे। प्रोफेसर अपूर्वानंद को उमर खालिद अब्बा सामान मानता है।”
ट्रंप दौरे के दौरान सरकार की बदनामी करवाना था मकसद
प्रोफेसर ने हमें दंगों के लिए मैसेज दे दिया था जिसके बाद हमें पत्थर, खाली बोतलें, एसिड, छुरियां इकठ्ठा करने के लिए कहा गया था और सभी महिलाओं को सूखी लाल मिर्च रखने के लिए बोला था। गुलफिशा ने पुलिस को दिए बयान में बताया कि 22 फरवरी को चक्का जाम करने की साजिश के तहत महिलाओं को इकठ्टा कर कैंडल मार्च के बहाने हम निकले और जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे बैठ गए और रोड ब्लॉक कर दिया गया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प विजिट को ध्यान में रखते हुए चांद बाग रोड का भी ‘#चक्का जाम’ व्हाट्सएप पर पोस्ट किया गया। इसको भी प्रोफेसर अपूर्वानंद मॉनिटर कर रहे थे। मकसद था कि चक्का जाम करने से हिन्दू फंस जाएंगे। वहां लोग गुस्से में आ जाएंगे। फिर पथराव करा देंगे। फिर भारत की हर जगह थू-थू होगी।
दंगों के दौरान इस्तेमाल किया हुआ मोबाइल भी तोड़कर फेंक दिया
गुलफिशा के मुताबिक उसने देवांगना, नताशा और JCC के साथ मिलकर चक्काजाम कर दंगे भड़काए थे और दंगों के दौरान इस्तेमाल किया हुआ मोबाइल भी तोड़कर फेंक दिया था। 4 अगस्त 2020 को ही दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने डीयू के प्रोफेसर अपूर्वानंद को पूछताछ के लिए बुलाया था। करीब 5 घंटे तक पूछताछ की थी। पुलिस ने प्रोफेसर का मोबाइल भी जांच के लिए ले लिया है।