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थी गुड़ियों से खेलने की उम्र मेरी, पर उसने मुझे…, रेप केस पर फैसला सुनाकर छलके जज के आंसू, दर्दभरी कविता भी सुनाई

sentenced to death

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भोपाल। मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले के सिवनी मालवा के नयापुरा में 6 साल की मासूम का रेप (Rape) कर हत्या करने वाले को कोर्ट ने फांसी (Sentenced to Death) की सजा दी है। कोर्ट ने इस मामले में शुक्रवार को 88 दिन बाद फैसला सुनाया है, जो रिकॉर्ड बन गया है। सजा के अलावा आरोपी पर तीन हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। साथ ही कोर्ट ने ये भी आदेश दिया कि बच्ची के माता-पिता को 4 लाख रुपये मुआवजे के तौर पर दिए जाएं। फैसले के दौरान स्पेशल जज तबस्सुम खान ने बच्ची के दर्द पर कविता भी सुनाई।

जिला अभियोजन अधिकारी ने बताया कि इस साल 2 जनवरी को मासूम बच्ची अपने मामा के घर गई थी। रात में बच्ची सो रही थी। आरोपी अजय बाडिवा (धुर्वे) भी उसी घर में पलंग के नीचे सो रहा था। उसे बच्ची की मां और मामा ने भगा दिया था। इसके बाद बच्ची को मां ने सुला दिया, लेकिन कुछ देर बाद आरोपी बच्ची को उठा ले गया।

आरोपी ने बच्ची को जंगल में ले जाकर नहर के किनारे उसके साथ रेप किया था और फिर मुंह दबाकर उसकी हत्या कर दी थी। इस घटना को लेकर बच्ची की मां को आरोपी पर शक था। पुलिस ने उसी रात आरोपी को अपनी गिरफ्त में ले लिया था। आरोपी ने अपना गुनाह कुबूल कर लिया। इस मामले में सिवनी मालवा के वकीलों ने ये घोषणा की थी कि वो आरोपी का केस नहीं लड़ेंगे। आरोपी को फांसी की सजा (Sentenced to Death) दिलाने के लिए प्रदर्शन भी किया गया था। इस मामले में विशेष लोक अभियोजक मनोज जाट ने शासन की ओर से पक्ष रखा।

ये है कविता

2 से 3 जनवरी 2025 की थी वो दरमियानी रात, जब कोई नहीं था मेरे साथ। इठलाती, नाचती छ: साल की परी थी, मैं अपने मम्मी-पापा की लाडली थी। सुला दिया था उस रात बड़े प्यार से मां ने मुझे घर पर। पता नहीं था नींद में मुझे ले जाएगा, वो मौत का साया बनकर। जब नींद से जागी, तो बहुत अकेली और डरी थी मैं। सिसकियां को लेकर मम्मी-पापा को याद बहुत करी थी मैं। न जाने क्या-क्या किया मेरे साथ। मैं चीखती थी, चिल्लाती थी, लेकिन किसी ने न सुनी मेरी आवाज।

थी गुड़ियों से खेलने की उम्र मेरी, पर उसने मुझे खिलोनी बना दिया। वो भी तो था तीन बच्चों का पिता, फिर मुझे क्यों किया अपनों से जुदा। खेल खेलकर मुझे तोड़ा, फिर मेरा मुंह दबाकर, मरता हुआ झाड़ियों में छोड़ दिया।

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हां मैं हूं निर्भया, हां फिर एक निर्भया, एक छोटा सा प्रश्न उठा रही हूं। जो नारी का अपमान करे, क्या वो मर्द हो सकता है। क्या जो इंसाफ निर्भया को मिला, वह मुझे मिल सकता है।

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