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शमी के पेड़ का है बड़ा ज्योतिष और औषधीय महत्व, जानने के लिए पढ़े

shami

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लखनऊ। हमारी संस्कृति में परंपरा में पेड पौधों का विशेष महत्व है । हिंदू धर्म में तो प्रकृति पूजा का विशेष स्थान है और इसी कारण कुछ पेड पौधों का औषधीय महत्व होने के साथ साथ धार्मिक महत्व बहुत अधिक है ऐसा ही एक पेड़ है “ शमी ” का। हिंदू धर्म ग्रंथों में मनुष्य का शरीर प्रक़ृति के पांच आधारों जल, वायु, अग्नि ,आकाश और धरती से बना माना गया है और स्वस्थ रहने के लिए इन पंच तत्वों का संतुलन में रहना ही अनिवार्य माना गया है। इस संबंध में ज्योतिष आचार्य राम नरेश व्यास ने यूनीवार्ता के साथ शुक्रवार को खास बातचीत में कहा कि हिंदू धर्म ग्रंथों में प्रकृति को देवता कहा गया है।

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पंचभूतों में से एक धरती पर उगने वाले पेड पौधों में से कुछ औषधीय महत्व के तो होते ही है साथ ही हमारे ग्रह-नक्षत्रों के बुरे प्रभाव को कम करने के काम भी आते हैं। पण्डित जी बताते हैं कि हमारे धर्म शास्त्रों में नवग्रहों से संबंधित पेड़-पौधों का जिक्र मिलता है, इन्हीं में से एक है शमी का पौधा या वृक्ष। धरती पर पाये जाने वाले पेड पौधे मानव जीवन के लिए बहुत लाभप्रद हैं । शमी भी ऐसे पेडों में शामिल है जिसका ज्योतिषशास्त्र में बड़ा महत्व है क्योंकि यह ग्रहों को प्रभावित करने वाला पेड़ माना गया है।

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शमी का संबंध शनि देव से है। नवग्रहों में “शनि महाराज” को दंडाधिकारी का स्थान प्राप्त है, इसलिए जब शनि की दशा या साढ़ेसाती आती है,तब जातक के अच्छे-बुरे कर्मों का पूरा हिसाब होता है इसलिये शनि के कोप से लोग भयभीत रहते हैं। पीपल और शमी दो ऐसे वृक्ष हैं, जिन पर शनि का प्रभाव होता है। पीपल का वृक्ष बहुत बड़ा होता है, इसलिए इसे घर में लगाना संभव नहीं होता। शनिवार की शाम को शमी वृक्ष की पूजा की जाए और इसके नीचे सरसों तेल का दीपक जलाया जाए, तो शनि दोष से कुप्रभाव से बचाव होता है।

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“शमी” का पौधा, तेजस्विता एवं दृढता का प्रतीक है। इसमें प्राकृतिक तौर पर अग्नितत्व की प्रचुरता होती है इसलिए इसे यज्ञ में अग्नि को प्रज्जवलित करने के लिए उपयोग में लाया जाता है। जन्मकुंडली में यदि शनि से संबंधित कोई भी दोष है तो शमी के पौधे को घर में लगाना और प्रतिदिन उसकी सेवा-पूजा करने से शनि की पीड़ा समाप्त होती है। सोमवार को शमी के पौधे में एक लाल मौली बांधे, इसे रातभर बंधे रहने दें। अगले दिन सुबह वह मौली खोलकर एक चांदी की डिबिया या ताबीज में भरकर तिजोरी में रखें, कभी धन की तंगी नहीं होगी। शनिवार को पेड़ के सबसे निचले भाग में उड़द की काली दाल और काले तिल चढ़ाएं।

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