इस साल पितृपक्ष (Pitru Paksha) की शुरुआत 7 सितंबर 2025 से हो रही है और इसी दिन साल का दूसरा चंद्र ग्रहण शनि की कुंभ राशि में लगने जा रहा है। ग्रह-नक्षत्रों का यह दुर्लभ संयोग कई राशियों के जीवन में बड़ा बदलाव लेकर आएगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब कोई ग्रह वक्री होता है, तो उसकी चाल धीमी हो जाती है और उसके प्रभाव में वृद्धि होती है। इस दौरान शनि का प्रभाव विशेष रूप से मिथुन, वृश्चिक और मीन राशि वालों के लिए बहुत ही लाभकारी सिद्ध हो सकता है। खासतौर पर 3 राशि वालों को इस समय का विशेष लाभ मिलने की संभावना है।
ज्योतिष में ग्रहण का प्रभाव
ग्रहण काल को ज्योतिष में बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। इस समय ग्रहों की चाल में विशेष परिवर्तन होते हैं। चंद्र ग्रहण के दिन शनि ग्रह वक्री अवस्था यानी उल्टी चाल में रहेंगे, जो कर्म और न्याय के कारक माने जाते हैं। शनि का वक्री होना कई लोगों के लिए नई संभावनाओं और बदलाव का मार्ग प्रशस्त करेगा।
मिथुन राशि:
मिथुन राशि के जातकों के लिए शनि का वक्री होना करियर में सफलता और आर्थिक उन्नति के नए द्वार खोलेगा। इस दौरान आपके रुके हुए काम पूरे होंगे और कार्यक्षेत्र में आपकी मेहनत का उचित फल मिलेगा। नौकरीपेशा लोगों को पदोन्नति या वेतन वृद्धि मिल सकती है। व्यापार से जुड़े लोगों को भी बड़ा मुनाफा होने की संभावना है। इस अवधि में आपके आत्मविश्वास में वृद्धि होगी और आप नई योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू कर पाएंगे।
वृश्चिक राशि:
वृश्चिक राशि के लोगों के लिए यह समय सामाजिक प्रतिष्ठा और पारिवारिक संबंधों को मजबूत करने वाला होगा। शनि की वक्री चाल के कारण आपके मान-सम्मान में वृद्धि होगी और समाज में आपका कद बढ़ेगा। परिवार में चल रही पुरानी समस्याओं का समाधान होगा और सुख-शांति का माहौल बनेगा। संपत्ति से जुड़े मामलों में भी आपको लाभ मिल सकता है। जो लोग विवाह की योजना बना रहे हैं, उनके लिए भी यह समय अनुकूल है।
मीन राशि:
मीन राशि के जातकों के लिए शनि का यह वक्री होना भाग्य को चमकाने वाला साबित होगा। आपको हर कार्य में भाग्य का पूरा साथ मिलेगा, जिससे आपके प्रयासों को सफलता मिलेगी। शिक्षा, नौकरी, या व्यवसाय, हर क्षेत्र में आपको उम्मीद से ज्यादा लाभ मिल सकता है। विदेश यात्रा या विदेश से जुड़े कार्यों में भी सफलता के प्रबल योग बन रहे हैं। यह समय आपके लिए अपने सपनों को पूरा करने का स्वर्णिम अवसर लेकर आया है।
किन बातों का रखें ध्यान?
ग्रहण काल में भोजन, जल और पूजा-पाठ से बचना चाहिए।
ग्रहण के बाद स्नान करना और दान-पुण्य करना शुभ माना जाता है।
पितृ पक्ष की शुरुआत के कारण पितरों की कृपा पाने के लिए तर्पण और श्राद्ध अवश्य करें।