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आश्विन माह में शरद पूर्णिमा कब है? नोट कर लें शुभ मुहूर्त और पूजा-विधि

Sharad Purnima

Sharad Purnima

हिंदू पंचाग के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा के दिन शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) का पर्व मनाया जाता है। शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। ज्योतिषियों के अनुसार पूरे साल में से सिर्फ शरद पूर्णिमा के दिन ही चंद्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन आसमान से अमृत वर्षा होती है। शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) के दिन चंद्रमा की पूजने की परंपरा चली आ रही है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन से सर्दियों की शुरुआत हो जाती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन चंद्रमा धरती के सबसे करीब होता है। चंद्रमा की दूधिया रोशनी धरती को नहलाती है। इन दूधिया रोशनी के बीच पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है।

पौराणिक मान्यताओं अनुसार शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) के दिन ही मां लक्ष्मी की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी। इस दिन मां लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं। अपने भक्तों पर धन की देवी कृपा बरसाती हैं। शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की चांदनी से पूरी धरती सराबोर रहती है और अमृत की बरसात होती है। इन्हीं मान्यताओं के आधार पर ऐसी परंपरा बनाई गई है कि रात को चंद्रमा की चांदनी में खीर रखने से उसमें अमृत समा जाता है।

शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) डेट और शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 16 अक्टूबर को रात्रि 08 बजकर 40 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 17 अक्टूबर को शाम को 04 बजकर 55 मिनट पर होगा। ऐसे में शरद पूर्णिमा का पर्व 16 अक्टूबर (Sharad Purnima) को मनाया जाएगा। इस दिन चन्द्रोदय शाम को 05 बजकर 05 मिनट पर होगा।

पूजा-विधि-

इस पावन दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का बहुत अधिक महत्व होता है। आप नहाने के पानी में गंगा जल डालकर स्नान भी कर सकते हैं। नहाते समय सभी पावन नदियों का ध्यान कर लें।

– नहाने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।

– अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।

– सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें।

– पूर्णिमा के पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना का विशेष महत्व होता है।

– इस दिन विष्णु भगवान के साथ माता लक्ष्मी की पूजा- अर्चना भी करें।

– भगवान विष्णु को भोग लगाएं। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को भी शामिल करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी के बिना भगवान विष्णु भोग स्वीकार नहीं करते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।

– भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें।

– इस पावन दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का अधिक से अधिक ध्यान करें।

– पूर्णिमा (Sharad Purnima) पर चंद्रमा की पूजा का भी विशेष महत्व होता है।

– चंद्रोदय होने के बाद चंद्रमा की पूजा अवश्य करें।

– चंद्रमा को अर्घ्य देने से दोषों से मुक्ति मिलती है।

– इस दिन जरूरतमंद लोगों की मदद करें।

– अगर आपके घर के आसपास गाय है तो गाय को भोजन जरूर कराएं। गाय को भोजन कराने से कई तरह के दोषों से मुक्ति मिल जाती है।

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