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शारदीय नवरात्र: जानें कलश स्थापना मुहूर्त, नोट कर लें पूजन सामग्री की लिस्ट

Chaitra Navratri

Chaitra Navratri

इस बार शारदीय नवरात्रि (Sharadiya Navratri) 3 अक्तूबर से आरंभ हो रहे हैं। यह 11 अक्तूबर तक चलेंगे। इस वर्ष माता पालकी पर सवार होकर आ रही हैं। इस वर्ष शारदीय नवरात्र आश्विन माह की प्रतिपदा तिथि 3 अक्तूबर दिन गुरुवार से शुरू हो रहे हैं। प्रतिपदा तिथि तीन अक्तूबर की अर्ध रात्रि 12 बजकर 18 मिनट पर शुरू हो रही है और चार अक्तूबर की रात 2 बजकर 58 मिनट तक रहेगी। नवरात्र संस्कृत का शब्द है। इसका अर्थ नौ रात है। इन नौ दिनों में उपवास रखकर दुर्गा देवी की पूजा की जाती है। दुर्गा सप्तसती का पाछ, दुर्गा स्त्रोत और दुर्गा चालीसा के साथ राम चरितमानस का भी पाठ किया जाता है। भक्ति भाव से आराधना करने से दुर्गा मां प्रसन्न होती हैं। उन्होंने बताया इस बार माता पालकी में आ रहीं हैं। नवरात्र की शुरूआत गुरुवार अथवा शुक्रवार से होती है तो माना जाता है कि माता पालकी या डोली में आ रहीं हैं।

कलश स्थापना

खुशहालपुर निवासी पंडित राम प्रसाद ने बताया कि इस बार कलश स्थापना का समय सुबह 6 बजकर 15 मिनट से 7 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। इस तरह कलश स्थापना का समय कुल 1 घंटा 6 मिनट रहेगा। इसके अलावा कलश स्थापना अभिजीत मुहूर्त में भी की जा सकती है। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। यानि 47 मिनट का समय मिलेगा।

पूजा-विधि:

सुबह उठकर जल्दी स्नान कर लें, फिर पूजा के स्थान पर गंगाजल डालकर उसकी शुद्धि कर लें।

घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।

मां दुर्गा का गंगा जल से अभिषेक करें।

मां को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें, प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं।

धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां की आरती करें।

मां को भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।

पूजा सामग्री की पूरी लिस्ट

लाल चुनरी

लाल वस्त्र

मौली

श्रृंगार का सामान

दीपक

घी/ तेल

धूप

नारियल

साफ चावल

कुमकुम

फूल

देवी की प्रतिमा या फोटो

पान

सुपारी

लौंग

इलायची

बताशे या मिसरी

कपूर

फल-मिठाई

कलावा

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