कोरोना संक्रमण से जूझ रहे बुजुर्ग शायर शकील गाजीपुर का बुधवार दोपहर प्रयागराज में इंतकाल हो गया। उनके निधन की खबर लगते ही सदमे से 36 वर्षीय बेटे फैजी भी दिल का दौरा पड़ने से जान चली गई।
शकील गाजीपुर को हृदय रोग भी था। इसकी वजह से सिविल लाइंस के हार्ट लाइन चिकित्सालय में इलाज चल रहा था। उनके परिवार में पत्नी, दो बेटे और एक बेटी है।
बेटे को भी कोराना का इंफेक्शन हुआ था। पिता और बेटे की मौत की खबर मिलते ही लोग स्तब्ध रह गए। अब दोनों को ईशा की नमाज के बाद काला डांडा कब्रिस्तान में सुपुर्दे-ख़ाक किया जा रहा है। एक साथ पिता और पुत्र के निधन से घर के साथ ही मोहल्ले में गम का मौहाल है। उनके गांव में भी शोक की लहर दौड़ गई है।
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एक सितंबर 1948 को गाजीपुर के वाजिदपुर में जन्में शकील गाजीपुर माध्यमिक शिक्षा परिषद में कार्य करते हुए सेवानिवृत्त हुए थे। उनकी दो पुस्तकें ‘लम्हे-लम्हे ख़्वाब के’ और ‘अभिलाषा’ प्रकाशित हुई हैं। आकाशवाणी और दूरदर्शन से भी उनकी ग़ज़लें समय-समय पर प्रकाशित होती रही हैं।
उन्हें ‘शान-ए-इलाहाबाद सम्मान’, ‘प्रयाग गौरव सम्मान’, ‘प्रयाग पुष्पम् सम्मान’ और ‘सरदार अली जाफरी एवार्ड’ प्रदान किए गए थे। शान-ए-इलाहाबाद सम्मान से 2018 में गुफ्तगू की ओर से सम्मानित किया गया था।