शीतला अष्टमी (Sheetla Ashtami) को बसौड़ा या बसोड़ा के नाम से भी जाना जाता है। हर साल चैत्र मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि यानी होली के आठ दिन बाद शीतला अष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस दिन माता शीतला की पूजा-आराधना करने का विधान है। माता शीतला के भक्तों के लिए यह पर्व बेहद ही खास होता है। धार्मिक मान्यता है कि शीतला अष्टमी के दिन पूरे विधि-विधान के साथ पूजा करने से बीमारियों से मुक्ति मिलती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है। दृक पंचांग के अनुसार, मार्च 21, 2025 को शीतला सप्तमी व शनिवार के दिन मार्च 22, 2025 को शीतला अष्टमी का व्रत रखा जाएगा। जानें मुहूर्त व पूजा-विधि-
शीतला अष्टमी (Sheetla Ashtami) पूजा शुभ मुहूर्त
अष्टमी तिथि प्रारम्भ – मार्च 22, 2025 को 04:23 बजे
अष्टमी तिथि समाप्त – मार्च 23, 2025 को 05:23 बजे
शीतला अष्टमी पूजा मुहूर्त – 06:23 से 18:33
अवधि – 12 घण्टे 11 मिनट्स
मां शीतला पूजा-विधि:
बसिऔड़ा के दिन सुबह एक थाली में रबड़ी, रोटी, चावल, दही, चीनी, मूंग की दाल, चुटकी भर हल्दी, जल, रोली, मोली, चावल, दीपक, धूपबत्ती और दक्षिणा आदि सामग्री से मां शीतला का पूजन करना चाहिए। पूजन किया हुआ जल सबको आंखों से लगाना चाहिए। शीतलाष्टमी (Sheetla Ashtami) पर्व के मौके पर ठंडे पकवानों का भोग लगाने की परंपरा है। इस तरह से पूजा करने से सुख, समृद्धि एवं धन, वैभव और ऐश्वर्य की वृद्धि होती है।
भोग:
मां को मीठे चावलों का भोग लगाया जाएगा। शीतलाष्टमी (Sheetla Ashtami) के मौके पर ठंडे पकवानों का भोग लगाने की परंपरा है। इस दिन ठंडे पकवान खाए जाते हैं। इसी दिन से छाछ, दही का सेवन शुरू हो जाता है ताकि गर्मी के मौसम और लू से बचाव हो सके।
शीतला माता के पूजन के बाद उनके जल से आंखें धोई जाती है। यह हमारी संस्कृति में नेत्र सुरक्षा और खासतौर से गर्मियों में आंखों का ध्यान रखने की हिदायत का भी संकेत कहीं न कहीं देता है।