नई दिल्ली| कोशिश करने वालों की हार नहीं होती, लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती। तमिलमाडु के थेनी जिले में रहने वाले जीवितकुमार ने इस कविता को सच कर दिखाया है। जीवित के पिता मनरेगा में दिहाड़ी मजदूरी करके परिवार का भरण पोषण करते हैं। 2020 की नीट परीक्षा को पास करने वाले बच्चों में जीवितकुमार का नाम भी शामिल है।
थेनी जिले के सरकारी विद्यालय से पढ़े जीवितकुमार ने नीट की परीक्षा के दूसरे प्रयास में 720 में से 664 अंक प्राप्त किए हैं। इसी के साथ वे सरकारी स्कूलों से यह परीक्षा पास करने वाले विद्यार्थियों के टॉपर बन गए हैं।
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एएनआई से बात करते हुए जीवितकुमार ने डॉक्टरी की पढ़ाई करने में असमर्थता जताई क्योंकि उनका परिवार सरकारी मेडिकल कॉलेज की भी फीस का खर्च नहीं झेल सकता। जीवितकुमार कहते हैं कि “डॉक्टर बनना मेरा लक्ष्य नहीं था लेकिन मैंने परीक्षा इसलिए दी क्योंकि इसे पास करना बहुत मुश्किल होता है। अब मैं एम.बी.बी.एस की पढ़ाई करना चाहता हूं लेकिन मेरा परिवार फीस का खर्च नहीं झेल सकता। मैं लोगों से गुहार लगाना चाहता हूं कि मेरी मदद करें ताकि मैं अपनी पढ़ाई जारी रख सकूं।”
“उन्होंने बताया कि पिछले साल परीक्षा का लेवल जानने के लिए परीक्षा दी थी। उसके बाद जब दोबारा पेपर लिखने का फैसला किया तो स्कूल के शिक्षकों ने नीट की कोचिंग में दाखिला लेने में मदद की। इसी वजह से आज वे सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के टॉपर बन पाए हैं।” जीवित ने अपने स्कूल के शिक्षकों का भी आभार प्रकट किया जिनकी मदद से वो एक कोचिंग सेंटर में परीक्षा की तैयारी के लिए दाखिला ले पाए थे।
जीवितकुमार की मां परमेश्वरी मनरेगा में दिहाड़ी मजदूरी करती हैं। अपने बेटे की इस सफलता पर उन्होने स्कूल के शिक्षकों का आभार जताया और खुशी प्रकट की। उन्होंने कहा कि “जीविथ को कोचिंग में दाखिला दिलाने में उसके स्कूल के शिक्षकों का बड़ा रोल है। परिवार में 10वीं और 12वीं में ज्यादा अंक लाने वाला जीवित ही है। हम उसकी सफलता से बहुत खुश हैं। ऐसा लगता है जैसे वो डॉक्टर बन ही गया हो।”