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शिंजो आबे का काशी से रहा है गहरा लगाव, सनातन धर्म के थे मुरीद

shinzo abe

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वाराणसी। हमले में घायल जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे (Shinzo Abe) ने करीब छह घंटे बाद अस्पताल में दम तोड़ दिया। शुक्रवार सुबह जापान के नारा शहर में भाषण देते समय एक व्यक्ति ने उन्हें गोली मार दी थी। शिंजों (Shinzo Abe)  की मौत की खबर से काशी स्तब्ध है। सुबह लोग लगातार पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे (Shinzo Abe)  के शीघ्र स्वस्थ होने के लिए बाबा विश्वनाथ से प्रार्थना कर रहे थे। अब उन्हें भावभीनी श्रद्धाजंलि देकर सोशल मीडिया के जरिए उनके खुशमिजाज स्वभाव, काशी दौरे के दौरान भारत जापान के घनिष्ठ रिश्तों को याद कर रहे हैं।

तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे (Shinzo Abe)  12 दिसंबर 2015 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती में शामिल हुए थे। उनके स्वागत के लिए तब पूरा बनारस सड़कों पर उमड़ पड़ा था। लोग भारत और जापान के झंडे लहराते हुए उनके काफिले पर पुष्पवर्षा कर रहे थे। जिला प्रशासन ने उनके आने-जाने के मार्ग को दुल्हन की तरह सजाया था। गोदौलिया चौराहे पर विशाल रंगोली और स्वागत गेट देख खुद शिंजो आबे ने खुशी का इजहार किया था। बनारस के सांसद एवं प्रधानमंत्री मोदी मेहमान के सम्मान में गाइड की भूमिका में दिखे थे।

गंगा आरती के दौरान मां गंगा और काशी के अध्यात्मिक पक्ष के प्रति उनका श्रद्धाभाव लोगों को खूब भाया था। शिंजों आबे ने सनातनी परम्परा का सम्मान कर हाथों में कलावा बंधवाने के साथ हर-हर महादेव का उद्घोष कर बाबा विश्वनाथ के प्रति भी श्रद्धाभाव दिखाया था। गंगा आरती के दौरान शिंजो आबे प्रधानमंत्री मोदी से बनारस के बारे में जानकारी भी लेते रहे। गंगा आरती के दौरान उनके साथ सेल्फी भी प्रधानमंत्री मोदी ने ली थी।

काशी के रंगकर्मी और पत्रकार प्रवीण तिवारी गुड्डू बताते हैं कि शिंजो आबे को जो सम्मान काशी ने दिया वो दुर्लभ ही देखने को मिलता है। प्रधानमंत्री मोदी के आह्वान का असर था कि हर घर से लोग शिंजो आबे के सम्मान में सड़क पर उतर आये थे।

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शिंजो आबे ने भी भारत और जापान की दोस्ती को यादगार बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर का रुद्राक्ष कंवेंशन सेंटर काशी को उपहार में दिया था। प्रवीण तिवारी बताते हैं कि बनारस में हुए अभूतपूर्व स्वागत से शिंजो आबे गदगद थे और देर तक खड़े रहकर दशाश्वमेध घाट के मढ़ियों पर बने मंच से काशीवासियों का अभिवादन करते रहे।

वरिष्ठ पत्रकार सुशील मिश्र बताते हैं कि 2007 में शिंजो आबे पहली बार जापान के प्रधानमंत्री के रूप में भारत आए थे। तब तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी, तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के साथ उन्होंने भारत जापान के संबंधों को मजबूती थी। वर्ष 2015 में जब प्रधानमंत्री मोदी के निमंत्रण पर भारत आये तो बनारस भी आए। तब भारत और जापान के सबंधों को वैश्विक ऊंचाई मिली और दुनिया में इस दोस्ती का बड़ा संदेश गया था। सुशील मिश्र बताते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी और तत्कालीन जापानी प्रधानमंत्री के दोस्ती की वजह से ही दोनों देशों की मित्रता के रूप में जायका (जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी) की मदद से सिगरा में रुद्राक्ष इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर बन कर तैयार हुआ।

वरिष्ठ पत्रकार पल्लव दूबे बताते हैं कि शिंजों आबे और प्रधानमंत्री मोदी को देखने के लिए काशी की सड़कों पर लोगों में गजब का उत्साह दिखा। लोग स्वत: सड़क किनारे खड़े होकर उनके काफिले को देख दोनों देश का झंडा लहराते रहे। वरिष्ठ छायाकार प्रमोद गुप्ता ने शिंजो और मोदी के एक साथ गंगा आरती को कवर किया था।

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बताते हैं कि शिंजो आबे तमाम प्रोटोकाल के बावजूद प्रेस फोटोग्राफरों के इशारे को समझ मंच पर खड़े थे। छायाकार इस यादगार पल को अपने कैमरे में कैद करते रहे। फोटो सेशन के बाद आबे ने पूरे गर्मजोशी से सभी छायाकारों और घाट पर मौजूद लोगों के अभिवादन का जबाब भी दिया था। उनका काशी से गहरा लगाव भी उस दौरान सबके सामने आया।

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