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इस दिन मनाई जाएगी शीतलाष्टमी, ऐसे लगाएं माता को बसौड़ा का भोग

Writer D by Writer D
12/03/2023
in Main Slider, धर्म, फैशन/शैली
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Shitala Ashtami

Shitala Ashtami

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शीतलाष्टमी (Shitalashtami ) 14 मार्च को मनाई जाएगी और घर-घर में माता शीतला की पूजा होगी। शीतलाजनित रोगों को दूर करने की कामना से महिलाएं माता शीतला का व्रत करती हैं। माता शीतला को बसौड़ा (बसिऔरा) का भोग लगाया जाएगा। व्रत के दिन घरों में चूल्हा नहीं जलता।

बीएचयू के ज्योतिष विभाग के प्रो. विनय पांडेय ने बताया कि शीतलाष्टमी (Shitalashtami ) व्रत करने से व्रती के कुल में दाहज्वर, पीतज्वर, विस्फोटक ज्वर, दुर्गंधयुक्त फोड़े, चेचक, नेत्रों के समस्त रोग, शीतला की फुंसियों के चिह्न तथा शीतलाजनित दोष दूर हो जाते हैं। इस व्रत के करने से शीतलादेवी प्रसन्न होती हैं।

इस मंत्र का करें जाप

प्रातः काल शीतल जल से स्नान कर मम गेहे शीतलारोगजनितोपद्रवप्रशमनपूर्वकायुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धये शीतलाष्टमीव्रतमहं करिष्ये। ऐसा संकल्प करें।

व्रत की विशेषता है कि शीतला देवी को भोग लगाने वाले सभी पदार्थ एक दिन पूर्व ही बना लिए जाते हैं अर्थात शीतला माता को एक दिन का बासी (शीतल) भोग लगाया जाता है। इसलिए लोक में यह व्रत बसौड़ा के नाम से भी प्रसिद्ध है। जिस दिन व्रत रहता है, उस दिन चूल्हा नहीं जलाया जाता है।

शीतलाष्टमी (Shitalashtami ) के व्रत में क्या करें

काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि शीतलाष्टमी के व्रत में रसोईघर की दीवार पर पांचों अंगुली घी में डुबोकर छापा लगाया जाता है। उस पर रोली, चावल चढ़ाकर शीतला माता के गीत गाए जाते हैं। सुगंधित गंध-पुष्पादि से शीतला माता का पूजन-कर ”शीतलास्त्रोत” का यथासंभव पाठ करना चाहिए तथा शीतला माता की कहानी भी सुननी चाहिए।

रात्रि में दीपक जलाना चाहिए। एक थाली में भात, रोटी, दही, चीनी, जल का गिलास, रोली, चावल, मूंग की दाल का छिलका, हल्दी, धूपबत्ती तथा मोंठ, बाजरा आदि रखकर घर के सभी सदस्यों को स्पर्श कराकर शीतला माता के मंदिर में चढ़ाना चाहिए।

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इस दिन चौराहे पर भी जल चढ़ाकर पूजन करने का विधान है। फिर मोंठ-बाजरा का बायना निकालकर उसपर रुपया रखकर अपनी सास के चरणस्पर्श कर उन्हें देने की प्रथा है। इसके बाद किसी वृद्धा को भोजन कराकर दक्षिणा देनी चाहिए।

Tags: ShitalashtamiShitalashtami 2023Shitalashtami dateShitalashtami pujaShitalashtami vrat
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