मुंबई। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी की मुसीबतें थम नहीं रही हैं। कुछ दिन पहले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने राहुल गांधी को एक नेता के रूप में नाकाफी बताया था। अब शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ ने संपादकीय पृष्ठ पर राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल खड़े किए हैं।
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संपादकीय में कहा गया है कि भाजपा का विरोध करने के लिए जब तक यूपीए के सभी दल शामिल नहीं होंगे, तब तक विपक्ष सरकार के आगे बेअसर नजर आएगा। शिवसेना ने कहा, प्रियंका गांधी को दिल्ली की सड़क पर हिरासत में लिया गया, राहुल गांधी का मजाक उड़ाया गया, यहां महाराष्ट्र में सरकार को काम करने से रोका जा रहा है, यह पूरी तरह लोकतंत्र के खिलाफ है। सरकार के इस रवैया का कारण है, कमजोर विपक्ष। मौजूदा विपक्ष पूरी तरह बेजान है, विपक्षियों की अवस्था बंजर गांव के मुखिया का पद संभालने जैसी है।
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इस कारण ही प्रदर्शन कर रहे किसानों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। बंजर गांव के हालात को सुधारने की जरूरत है। विपक्ष के इस हाल के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या गृह मंत्री अमित शाह जिम्मेदार नहीं हैं। विपक्ष इसका जिम्मेदार है और इसे आगे आकर इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी। सामना ने लिखा गया है कि यूपीए नाम के एक राजनीतिक संगठन की कमान कांग्रेस नेतृत्व के हाथ में है।
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शिवसेना ने विपक्ष को निशाने पर लेते हुए अपने संपादकीय में लिखा, किसानों द्वारा दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन किया जा रहा है। सत्ता पक्ष को इस आंदोलन की फिक्र नहीं है। वहीं, यूपीए को एनजीओ करार देते हुए शिवसेना ने इसका नेतृत्व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के मुखिया शरद पवार को सौंपने की वकालत की है। राहुल पर सवाल उठाने के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि शिवसेना के इस कदम का प्रभाव महाराष्ट्र की महाविकास अघाडी सरकार पर पड़ता है या नहीं।