शिव पुराण और देवी भागवत के अनुसार, सावन (Sawan) का अंतिम सोमवार केवल भोलेनाथ की कृपा पाने का नहीं, बल्कि शिव-शक्ति की संयुक्त ऊर्जा को साधने का दिन होता है। यही कारण है कि इस दिन की पूजा को पूर्ण फल देने वाला सोमवार कहा गया है।
सावन (Sawan) का आखिरी सोमवार केवल व्रत और जलाभिषेक का दिन नहीं, बल्कि शिव और शक्ति की संयुक्त चेतना से जुड़ने का अवसर होता है। मान्यता है कि जो साधक इस दिन दोनों की पूजा करता है, वह केवल सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति नहीं करता, बल्कि आध्यात्मिक शक्ति को भी जाग्रत करता है। यही वजह है कि यह दिन भाग्य बदलने वाला सोमवार भी कहा जाता है।
क्यों होता है आखिरी सोमवार इतना खास?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, श्रावण मास में देवों की उपासना का असर सबसे गहरा होता है। लेकिन अंतिम सोमवार को शिव और शक्ति दोनों पूर्ण रूप से जाग्रत अवस्था में माने जाते हैं। तंत्र शास्त्रों के अनुसार यह वह काल होता है जब साधक की भक्ति, संयम और निष्ठा की पूरी परीक्षा होती है और जो इस दिन सफल होता है, उसे दोनों की कृपा एक साथ प्राप्त होती है।
शिव-पार्वती का मिलन पर्व
शिव पुराण में उल्लेख है कि श्रावण मास के अंतिम सोमवार को शिव और पार्वती के मिलन की तिथि के रूप में भी मनाया जाता है। इसे पूर्ण शिवत्व का दिन माना गया है, यानी वह समय जब शिव अर्धनारीश्वर के रूप में सबसे पूर्ण होते हैं। इस दिन शिव की पूजा के साथ-साथ माता पार्वती, गणेश, कार्तिकेय और नंदी की भी पूजा अनिवार्य मानी जाती है। इससे केवल शिव कृपा ही नहीं मिलती, बल्कि परिवार सुख, संतान सुख और विवाह संबंधित बाधाएं भी दूर होती हैं।
शक्ति जागरण के संकेत
कुछ विद्वानों का मानना है कि देवी शक्ति इस दिन शिव के साथ साक्षात रूप में होती हैं। देवी भागवत पुराण में उल्लेख है कि श्रावण शुक्ल पक्ष के अंत में देवी शक्ति आराधना योग्य हो जाती हैं, यानी यह समय केवल भोलेनाथ को प्रसन्न करने का नहीं बल्कि माता शक्ति से वरदान पाने के लिए भी अत्यंत उपयुक्त समय होता है।
क्या करना चाहिए इस दिन?
– सुबह के समय शिवलिंग पर जल, दूध और पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए।
– शाम को दीप जलाकर शिव-पार्वती की संयुक्त आरती करनी चाहिए।
– ॐ पार्वतीपतये नमः मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए।
– भगवान शिव को सफेद, माता शक्ति को लाल फूल अर्पित करना चाहिए।
– मीठा भोग लगाकर विवाहित महिलाओं को सुहाग सामग्री देनी चाहिए।