पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान कृष्ण की 16108 पत्नियों और उनके डेढ़ लाख से भी ज्यादा पुत्र थे. हालांकि ऐसा क्यों कहा जाता है, इसकी भी वजह है। पुराणों में उल्लेख है कि एक दानव भूमासुर ने अमर होने के लिए 16 हजार कन्याओं की बलि देने का निश्चय कर लिया था। श्री कृष्ण ने इन कन्याओं को कारावास से मुक्त कराया और उन्हें वापस घर भेज दिया। जब वो घर पहुंचीं तो परिवारवालों ने चरित्र के नाम पर उन्हें अपनाने से इनकार कर दिया। तब श्री कृष्ण ने 16 हजार रूपों में प्रकट होकर एक साथ उनसे विवाह रचाया था। असल में कृष्ण ने केवल 08 बार ही शादी थी। उनकी केवल 08 पत्नियां थीं। जिनके नाम रुक्मणि, जाम्बवन्ती, सत्यभामा, कालिन्दी, मित्रबिन्दा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा था।
महाभारत के अनुसार श्रीकृष्ण की सबसे बड़ी रानी रुक्मिणी थीं। उन्होंने उनका हरण कर उनके साथ विवाह रचाया था। इस विवाह को चूंकि उन्होंने अपहरण करने के बाद रचाया था, इसलिए भारतीय शास्त्रों के अनुसार इसे राक्षस विवाह भी कहा गया। विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री रुक्मणि भगवान कृष्ण से प्रेम करती थी। उनसे विवाह करना चाहती थीं। रुक्मिणी के भाई ने उनका विवाह किसी और से तय कर दिया गया था, जब ये बात कृष्ण को पता चली तो उन्होंने बल पूर्वक रुक्मिणी का हरण कर लिया। द्वारका ले आये। यहां पर फिर कृष्ण-रुक्मिणी का विवाह हुआ।
सत्यभामा, राजा सत्राजित की पुत्री और श्रीकृष्ण की तीन महारानियों में एक थीं। सत्राजित सूर्य भक्त था। उसे सूर्य ने स्यमंतक मणि प्रदान की थी। ना जाने कैसे सत्रजित को गलतफहमी हो गई कि ये मणि कृष्ण ने कब्जे में ले ली है। जबकि ऐसा नहीं था। हालांकि कृष्ण ने खुद जंगल जाकर ये मणि तलाश ली। उन्होंने ये मणि तो सत्राजित को लौटाई ही साथ ही ये भी बताया कि उन्होंने ऐसा कैसे किया। ये सुनकर राजा सत्राजित लज्जित हो गया। उसने अपनी बेटी सत्यभामा का विवाह कृष्ण से कर दिया, साथ ही उसने वो मणि भी कृष्ण को देनी चाही लेकिन उन्होंने उसको लेने से मना कर दिया।
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दरअसल सत्यभामा की शादी के साथ जुड़ी हुई कहानी उनकी जांबवती से विवाह की भी है। कृष्ण जब मणि को तलाशते हुए जंगल में ऋक्षराज जांबवान की गुफा में पहुंचे तो वहां उन्होंने एक बालक को स्यमंतक मणि से खेलते हुए देखा। अनजान व्यक्ति को देखकर बालक की धाय ने शोर मचाया। जांबवान ने वहां पहुंचकर कृष्ण से युद्ध शुरू कर दिया। कुछ ही देर में जांबवान ने कृष्ण को पहचान लिया। उसने उन्हें वो मणि तो लौटाई ही साथ ही अपनी कन्या जांबवती का विवाह भी कृष्ण से कर दिया।
भगवान कृष्ण की श्रुतकीर्ति नामक बुआ कैकेई देश में रहती थी। उनकी भद्रा नामक एक कन्या थी। भद्रा और उसके भाई कृष्ण से उसका विवाह करना चाहते थे। अपनी बुआ और भाइयों की इच्छा पूरी करने के लिए कृष्ण ने पूरे विधि-विधान से भद्रा के साथ विवाह किया।
अवंतिका (उज्जैन) देश के राजा विंद और अनुविंद थे। वे दुर्योधन के वंशवर्ती तथा उसके अनुयायी थे। मित्रविंदा श्रीकृष्ण की फुआ राजाधिदेवी की कन्या थीं। उसकी शादी के लिए स्वयंवर का आयोजन किया गया। इसमें श्रीकृष्ण भी पहुंचे। मित्रविंदा खुद कृष्ण से विवाह करना चाहती थीं। मित्रविन्दा का भाई दुर्योधन से अपनी बहन का विवाह करना चाहता था। तब कृष्ण ने सभी विरोधियों के सामने मित्रविंदा का हरण कर लिया। उन्होंने मित्रविंदा के दोनों भाई विंद-अनुविंद को पराजित कर उनका हरण किया। फिर विवाह कर लिया।
श्रीकृष्ण जब पांडवों से मिलने के लिए इंद्रप्रस्थ पहुंचे तो युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव, द्रौपदी और कुंती ने उनका आतिथ्य-पूजन किया। इस दौरान एक दिन अर्जुन को साथ लेकर भगवान कृष्ण वन विहार के लिए निकले। जिस वन में वे विहार कर रहे थे वहां पर सूर्य पुत्री कालिन्दी, श्रीकृष्ण को पति रूप में पाने की कामना से तप कर रही थी। कालिन्दी की मनोकामना पूर्ण करने के लिए श्रीकृष्ण ने उसके साथ विवाह कर लिया।
राजा नग्नजित की पुत्री का नाम था नग्नजिती। वह सुंदर और बेहद गुणवान थी। राजा ने उसके विवाह के लिए एक मुश्किल शर्त रख दी कि जो क्षत्रीय सात बैलों पर जीत प्राप्त करेगा, उसी के साथ वो अपनी बेटी की शादी करेंगे। कृष्ण ने ये काम कर दिखाया. राजा ने उनका ये पराक्रम देखने के साथ खुशी खुशी अपनी बेटी की शादी उनसे कर दी।
जिस तरह महाभारत में अर्जुन ने स्वयंवर में मछली का प्रतिबिंब देखकर असली मछली की आंख में तीर चलाया था। उसी तरह कृष्ण ने लक्ष्मणा से स्वंयवर में विवाह किया था। नीचे पानी में मछली की परछाई देखकर ऊपर मछली पर निशाना लगाना था। कृष्ण ने ऐसा कर दिया। तब उनका लक्ष्मणा हो गया।
इन आठ रानियों से हरएक से कृष्ण को 10 बेटे हुए। यानि कुल मिलाकर उन्हें अपनी इन पत्नियों से 80 पुत्र मिले थे। इन 08 महिलाओं को अष्टा भार्या कहा जाता था। श्रीकृष्ण के सबसे बड़े पुत्र का नाम प्रद्युम्न था। प्रद्युम्न कामदेव के अवतार माने जाते हैं। हालांकि शम्बराशुर नाम के दैत्य ने उसका अपहरण करके उसकी हत्या करनी चाही लेकिन वो बच गए। बाद में उनके बेटे अनिरुद्ध को कृष्ण ने अपना उत्तराधिकारी बनाया।