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श्रीराम लला के सखा त्रिलोकी नाथ पाण्डेय का निधन, लंबे समय से थे बीमार

श्रीराम जन्मभूमि के मुकदमे में श्रीराम लला के सखा के रूप में श्रीराम मंदिर का मुकदमा लड़ने वाले विश्व हिंदू परिषद के पूर्णकालिक कार्यकर्ता त्रिलोकी नाथ पांडेय का निधन हो गया । न्यायालय में उन्होंने विराजमान रामलला के सखा (मित्र) के तौर पर 28 वर्ष मुकदमा लड़ा था। लखनऊ में उपचार के दौरान डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में शुक्रवार की शाम 7.30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। वे 77 वर्ष के थे। वह काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे।

इसी माह में वे राम नगरी के श्रीराम अस्पताल में भी भर्ती हुए थे। गंभीर रूप से बीमार होने के बाद लखनऊ के डॉ राममनोहर लोहिया अस्पताल में इलाजरत थे। उनके निधन पर विश्व हिंदू परिषद के कार्यालय कारसेवक पुरम के साथ ही राम नगरी केेे संत महंतों में शोक की लहर हैै।

विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने श्री पांडे के निधन को हिंदू समाज के लिए अपूरणीय क्षति बताया। उन्होंने बताया कि आज की शाम 7:30 बजे श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन में अपनी अहम भूमिका निभाने वाले त्रिलोकी नाथ पाण्डेय जी का राम मनोहर लोहिया अस्पताल लखनऊ में निधन हो गया। प्रभु श्री राम उनको अपने चरणों में स्थान दे।

बलिया के मूल निवासी थे रामलला के सखा त्रिलोकी नाथ

रामलला के बाल सखा त्रिलोकी नाथ उत्तर प्रदेश के बलिया जनपद के ग्राम दया छपरा के मूल निवासी थे। वह बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में जुड़ गए थे और काफी लंबे समय तक वह प्रचारक का जीवन जीते रहे । विश्व हिंदू परिषद ने उनका केंद्र कार्यक्रम में बनाया था। श्री राम जन्म भूमि मंदिर आंदोलन के समय रामलला का मुकदमा लड़ने के लिए उन्हें बालसखा की उपाधि देकर मुकदमा लड़ा गया। बाल काल में ही इनका विवाह हो गया था। 2 पुत्र अरविंद पांडे अमित पांडे में एक इंजीनियर और एक श्री राम जन्मभूमि सेवा में लगा हुआ है। सभी पुत्र विवाहित हैं।

बताया गया है कि त्रिलोकी नाथ पांडे का पार्थिव शरीर देर रात राम नगरी पहुंचेगा। राम नगरी के कारसेवक पुरम में उनका पार्थिव शव रखा जाएगा। सूत्रों के मुताबिक त्रिलोकी नाथ के गृह जनपद बलिया में उनका अंतिम संस्कार किया जा सकता है।

श्री रामलला विराजमान के न्यायालय में सखा (वादमित्र) थे

डाॅ. चन्द्र प्रकाश सिंह ने बताया कि श्री राम जन्मभूमि वाद में श्री रामलला विराजमान के न्यायालय में सखा (वादमित्र) त्रिलोकीनाथ पाण्डेय थे।

श्रीरामलला के पक्ष से सखा के रूप में स्वर्गीय न्यायमूर्ति देवकीनन्दन अग्रवाल सन् 1989 में वाद प्रस्तुत किए थे और उसी वाद के आधार पर श्रीराम जन्मभूमि का स्थान रामलला विराजमान को प्राप्त हुआ। उनके बाद त्रिलोकीनाथ पाण्डेय श्री रामलला के वादमित्र थे। उन्होंने बताया कि त्रिलोकीनाथ तीन दशकों से उच्च न्यायालय से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक श्रीराम जन्मभूमि के न्यायिक गतिविधियों के संयोजन में अनथक जुड़े रहे। उनके श्रीरामजन्म भूमि के अधिवक्ताओं और साक्षी के रूप में प्रस्तुत विद्वानों के साथ अत्यन्त मधुर संबंध थे। उन्होंने बताया कि

सन् 2016 में दिल्ली विश्वविद्यालय एवं उसके बाद अन्य स्थानों पर श्रीराम जन्मभूमि के विषय पर अरुन्धती वशिष्ठ अनुसंधान पीठ द्वारा आयोजित संगष्ठियों में अस्वस्थता के बाद भी उनका सक्रिय योगदान रहता था।

विश्व हिंदू परिषद के पूर्णकालिक कार्यकर्ता थे त्रिलोकी नाथ

विश्व हिंदू परिषद के पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रूप में त्रिलोकी पांडेय ने 1979 में कार्य प्रारंभ किया। आपातकाल के पूर्व रायबरेली जिले के जिला प्रचारक रहे। विश्व हिंदू परिषद के संगठनात्मक दायित्व से मुक्त करके जुलाई 1992 में उन्हें अयोध्या लाया गया।

वर्ष 1992 से अयोध्या कर्मभूमि बनाए हुए थे त्रिलोकी नाथ

जुलाई माह वर्ष 1992 में उन्हें संघ की दृष्टि से अयोध्या लाया गया था। तब से अयोध्या ही उनकी कर्मभूमि रही 1992 के बाद सिविल और अपराध दोनों ही प्रकार के श्री राम जन्म भूमि के मुकदमे की चिंता पैरोकार के रूप में करते थे। सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा उच्च न्यायालय लखनऊ में भगवान का मुकदमा देखने के लिए उन्हें रामसखा नियुक्त किया गया ।

श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण का भूमि पूजन में हुए थे सम्मिलित

5 अगस्त 2020 श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए कार्यारंभ के दिन आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ रामलला के सखा त्रिलोकी पांडे भी सम्मिलित हुए थे। मंदिर निर्माण स्थल पर वाह अनेकों बार गए परंतु विगत 6 माह से इनका चलना फिरना बंद हो गया था।

घुटने और कमर की नसें नहीं कर रही थी काम

त्रिलोकी पांडे की घुटने और कमर की नस से कार्य नहीं कर रही थी 6 माह से उनका चलना फिरना लगभग बंद हो गया था बारंबार लखनऊ इलाज के लिए जाना पड़ता था उन्होंने स्वयं लखनऊ में अपने प्रति डॉक्टर विक्रम से बात की और 20 सितंबर को डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ में भर्ती हुई और वहीं पर इलाज उनका चल रहा था। शुक्रवार की रात्रि 7:30 उन्होंने इसी अस्पताल में अंतिम सांस ली।

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