श्रीराम जन्मभूमि परिसर में बन रहा भगवान श्रीराम का मंदिर दुनिया में अलौकिक होगा। श्रीराम जन्मभूमि का कुल परिसर करीब 10 से 12 एकड़ में विस्तारित होगा। भव्य परिसर में आस्था के साथ आधुनिकता की झांकी दिखेगी।
पूरा मंदिर चारों तरफ से ओपन होगा, इको फ्रेंडली बनाने की योजना है। यहां इस तरह की व्यवस्था की जा रही है कि भक्त 24 घंटे रुक सकें। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने गुरुवार को राममंदिर निर्माण की प्रगति से अवगत कराते हुए मंदिर का पूरा स्वरूप साझा किया।
इस दौरान मंदिर निर्माण की प्रगति से अवगत कराते हुए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि राममंदिर की नींव भराई का कार्य लगभग समाप्त है। कुल 48 लेयर में नींव भरी जानी है।47 लेयर डाली जा चुकी है। हालांकि गुरुवार को भारी बारिश के साथ कार्य प्रभावित रहा। कहा कि 20 सितंबर तक नींव काम पूरा हो जाएग।
इस प्रकार 14 मीटर की नींव पर प्लिंथ का निर्माण शुरू होगा। जो कि करीब 16 फीट ऊंचा होगा। प्लिंथ में मिर्जापुर के व ग्रेनाइट के 30 हजार घट फिट पत्थर लगेंगे। प्लिंथ का काम राफ्ट डालने के बाद तुरंत शुरू हो जाएगा। कहा कि हमारा लक्ष्य है कि दिसंबर 2023 तक भव्य गर्भगृह में रामभक्तों को रामलला के दर्शन प्राप्त होने लगे। इसी समय योजना के साथ काम चल रहा है, कार्य की गति से सभी संतुष्ट हैं। बताया राममंदिर ढाई एकड़ में होगा।
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साढ़े छह एकड़ में परकोटा बनेगा, जबकि पूरा परिसर करीब 10 से 12 एकड़ में होगा। मंदिर परिसर में आस्था के साथ आधुनिकता की झांकी दिखेगी। परिसर इको फ्रेंडली होगी, मंदिर का ज्यादातर भाग खुला होगा। योजना इस तरह की है कि यहां 24 घंटे भक्त रुक सकें।
चंपत राय ने बताया कि मुख्य मंदिर राजस्थान के वंशी पहाड़पुर के पत्थरों से निर्मित होंगे। राजस्थान से पत्थरों की आपूर्ति को लेकर अब कोई अवरोध नहीं है। दिसंबर या जनवरी माह से राजस्थान से पत्थरों की आपूर्ति शुरू हो जाएगी। राममंदिर आंदोलन के दौरान एकत्र की गई करीब पौने तीन लाख रामशिलाओं के भविष्य पर चंपत राय ने कहा कि ये शिलाएं राममंदिर आंदोलन की गवाह हैं। इसलिए इनका सम्मान जनक संरक्षण किया जाएगा।
इस दौरान ट्रस्ट के सदस्य महंत दिनेंद्र दास, डॉ.अनिल मिश्र, एलएंडटी के प्रोजेक्ट मैनेजर दिलीप मेहता सहित अन्य इंजीनियर मौजूद रहे। चंपत राय ने बताया कि पूरे मंदिर में कहीं भी लोहे का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। साढ़े छह एकड़ के परकोटे के बाहर रिटेनिंग वॉल बनेगी। यह रिटेनिंग वॉल मंदिर को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने में सक्षम हो इसलिए इसमें लोहे का इस्तेमाल करने का निर्णय लिया गया है।
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बाकी नींव से लेकर प्लिंथ व मुख्य मंदिर में कहीं भी लोहे का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। चंपत राय ने दावा किया कि स्वतंत्र भारत में किसी भी मंदिर व भवन की इतनी मजबूत नींव नहीं बनी होगी। बताया कि मंदिर की नींव 11 हजार घनमीटर चट्टान पर टिकी होगी, जो कि एक अनोखे प्रकार की नींव है। राममंदिर की मजबूती व लंबी आयु को लेकर अपने छह महीने तक मंथन किया।
देश के आठ नामी तकनीकी संस्थाओं आईआईटी मुंबई, आईआईटी चेन्नई, आईआईटी सूरत, आईआई रुड़की, एनजीआरआई हैदराबाद, एलएंडटी, टाटा कंसल्टेंसी के तकनीकी विशेषज्ञों के सुझाव पर मोटी चट्टान डालकर नींव निर्माण का निर्णय लिया गया था। हमारा मानना है कि यह सर्वोत्तम निर्णय रहा, मजबूती व तकनीकी में राममंदिर अव्वल होगा। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि राममंदिर पूर्वमुखी होगा। भगवान का मुख पूर्व दिशा में रहेगा। पूरब और पश्चिम दिशा में मंदिर लंबा होगा।
तीन तल व पांच गुंबद होंगे। गर्भगृह में रामलला विराजेंगे। प्रथम तल में रामदरबार स्थापित किया जाएगा। दूसरे तल को खाली रखने का निर्णय लिया गया है। मंदिर का एक ही प्रवेश द्वार होगा। बताया कि पूरे मंदिर निर्माण में चार प्रकार के पत्थरों का प्रयोग किया जाएगा।
परकोटा में जोधपुर, मुख्य मंदिर में राजस्थान के वंशीपहाड़पुर, प्लिंथ को ऊंचा करने में कर्नाटक का ग्रेनाइट व मिर्जापुर का सिलेटी पत्थर लगेगा। मंदिर की चौखट मकराना के संगमरमर से बनाई जाएगी।