कानपुर। मंगलवार देर रात पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए। भारतीय सेना ने तीन मुख्य आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिद्दीन के ट्रेनिंग कैंप भी उड़ा दिए हैं। ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ के तहत की गई इस कार्रवाई में लश्कर-ए-तैयबा का मुख्यालय भी तबाह हो गया है।
शहीद शुभम द्विवेदी (Shubham Dwivedi) के पिता संजय द्विवेदी ने जम्मू-कश्मीर में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत आतंकियों के सफाए पर खुशी जताई है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की भावनाओं का सम्मान किया है और यह साहसी निर्णय हर भारतीय के हृदय को छू गया है।
संजय द्विवेदी ने कहा कि उनके बेटे ने देश के लिए बलिदान दिया और सरकार ने उसके बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने दिया। उन्होंने कहा कि आतंक के आकाओं को खत्म करना जरूरी था और ऑपरेशन सिंदूर ने देश को न्याय दिलाया है। संजय द्विवेदी ने केंद्र सरकार और भारतीय सेना की कार्रवाई की खुले दिल से सराहना की।
‘पीएम मोदी को धन्यवाद’
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में शहीद हुए शुभम द्विवेदी (Shubham Dwivedi) के पिता संजय द्विवेदी कहते हैं, ‘मैं लगातार खबरें देख रहा हूं। मैं भारतीय सेना को सलाम करता हूं और पीएम मोदी को धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने देश के लोगों का दर्द सुना। जिस तरह से भारतीय सेना ने पाकिस्तान में पनप रहे आतंकवाद को खत्म किया है, उसके लिए मैं हमारी सेना को धन्यवाद देता हूं… जब से हमने यह खबर सुनी है, मेरा पूरा परिवार हल्का महसूस कर रहा है।’
शुभम द्विवेदी (Shubham Dwivedi) की पत्नी ने कहा, ‘मैं अपने पति की मौत का बदला लेने के लिए पीएम मोदी को धन्यवाद देना चाहती हूं। मेरे पूरे परिवार को उन पर भरोसा था और जिस तरह से उन्होंने (पाकिस्तान को) जवाब दिया, उसने हमारे भरोसे को कायम रखा है। यह मेरे पति के लिए सच्ची श्रद्धांजलि है। मेरे पति जहां भी होंगे, आज उन्हें शांति मिलेगी।’
बैसरन घाटी में आंतकियों ने किया था हमला
उत्तर प्रदेश के कानपुर में के निवासी शुभम द्विवेदी (Shubham Dwivedi) अपनी पत्नी आशन्या के साथ जम्मू-कश्मीर घूमने गए थे। 22 अप्रैल को जब वे दोनों बैसरन घाटी में थे तभी आतंकवादियों ने भोजनालयों के आसपास पर्यटकों पर गोलीबारी कर दी। घटना को याद करते हुए आशन्या ने बताया था कि, ‘हम पहाड़ी की चोटी के पास घोड़ों से उतरकर पैदल ही चल रहे थे, जबकि शुभम अपनी बहन शांभवी के साथ बैठा हुआ था। एक आदमी आया और उसने पूछा, तुम हिंदू हो या मुसलमान? हममें से कोई भी नहीं समझ पाया कि उसका क्या मतलब था..हमने सोचा कि शायद वह मज़ाक कर रहा है।
‘मोदी ने इनको बता दिया… ‘, सेना की जांबाजी को ने किया सलाम
उसने फिर पूछा…हम सब अभी भी इसे समझने की कोशिश कर रहे थे और यह सोचकर हंसने लगे कि यह एक मज़ाक है। मैंने कहा, भैया, हम मुसलमान नहीं हैं और फिर, मेरे सामने ही उसने बंदूक निकाली और शुभम के सिर में गोली मार दी।’