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सिब्बल ने ट्वीट वापस लेते हुए कहा- राहुल गांधी ने व्यक्तिगत रूप से सूचित की सारी बात

kapil sibble

कपिल सिब्बल

नई दिल्ली। कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर छिड़ी बहस के बीच सोमवार को कांग्रेस कार्यसमिति की आभासी बैठक जारी है। बैठक में पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अध्यक्ष पद के छोड़ने की पेशकश की है। वहीं पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वरिष्ठ नेता एके एंटनी ने उनसे पद पर बने रहने को कहा है। इसके अलावा पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने नेतृत्व को लेकर 23 नेताओं द्वारा सोनिया को भेजी गई चिट्ठी को भाजपा के साथ मिलीभगत करार दिया है।

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सिब्बल ने वापस लिया ट्वीट

सुरजेवाला की सफाई के बाद कपिल सिब्बल ने कहा, ‘राहुल गांधी ने मुझे व्यक्तिगत रूप से सूचित किया कि उन्होंने कभी ऐसा नहीं कहा है इसलिए मैं अपना ट्वीट वापस लेता हूं।’

राहुल गांधी ने नेतृत्व में बदलाव को लेकर पत्र लिखने वाले नेताओं पर निशाना साधते हुए इसे भाजपा के साथ मिलीभगत करार दिया। जिसपर सिब्बल और आजाद जैसे वरिष्ठ नेताओं ने विरोध जताया। अब इसपर पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सफाई दी है। उन्होंने कहा, ‘श्री राहुल गांधी की बात का वो मतलब नहीं था और न ही उन्होंने ऐसा कहा। कृपया झूठे मीडिया बातचीत या गलत सूचना के प्रसार से भ्रमित न हों। लेकिन हां, हम सभी को एक साथ मिलकर मोदी सरकार के खिलाफ लड़ना है न कि एक-दूसरे को चोट पहुंचाने या कांग्रेस के खिलाफ।’

पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि यदि राहुल गांधी का भाजपा के साथ मिलीभगत वाला बयान साबित हो जाता है तो वे अपने पद से इस्तीफा दे देंगे।

https://twitter.com/ANI/status/1297788444110774277?s=20

सूत्रों के अनुसार, बैठक में राहुल गांधी ने कहा कि ऐसा (पार्टी नेतृत्व में सुधारों के लिए सोनिया गांधी को पत्र) भाजपा के साथ मिलीभगत की वजह से किया गया। इसपर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने जवाब देते हुए कहा, ‘राहुल गांधी का कहना है कि हम भाजपा के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। राजस्थान उच्च न्यायालय में कांग्रेस पार्टी का सही पक्ष रखा। भाजपा सरकार को गिराने के लिए मणिपुर में पार्टी का बचाव किया। पिछले 30 सालों में कभी भी किसी मुद्दे पर भाजपा के पक्ष में बयान नहीं दिया। फिर भी हम भाजपा से मिले हो सकते हैं।’

https://twitter.com/ANI/status/1297788444110774277?s=20

सूत्रों के अनुसार, सीडब्ल्यूसी बैठक के दौरान राहुल गांधी ने कहा कि पत्र (पार्टी नेतृत्व के बारे में सोनिया गांधी) को उस समय लिखा गया था जब राजस्थान में कांग्रेस सरकार संकट का सामना कर रही थी। पत्र में जो कुछ लिखा गया है उसपर चर्चा करने का सही स्थान सीडब्ल्यूसी की बैठक था न कि मीडिया।

सोनिया गांधी का कहना है कि उन्होंने केसी वेणुगोपाल को एक नोट दिया है (कुछ वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं द्वारा पार्टी नेतृत्व को लिखे गए पत्र का जवाब) और वे इसे पढ़ेंगे। सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी ने पार्टी के सहयोगियों द्वारा पत्र के समय जिक्र करते हुए इसकी आलोचना की। राहुल गांधी ने कहा कि जब सोनिया गांधी अस्पताल में भर्ती थीं उस समय पत्र (पार्टी नेतृत्व पर) क्यों भेजा गया।

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पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पार्टी के वरिष्ठ नेता एके एंटनी ने सोनिया गांधी से अगला पार्टी अध्यक्ष चुने जाने तक पद पर बने रहने की अपील की है।

दिल्ली में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पार्टी कार्यालय के बाहर नारे लगाए। उन्होंने मांग की कि पार्टी अध्यक्ष गांधी परिवार से होना चाहिए। कांग्रेस कार्यकर्ता जगदीश शर्मा ने कहा, ‘हम गांधी परिवार से पार्टी अध्यक्ष चाहते हैं। यदि किसी बाहरी व्यक्ति को अध्यक्ष बनाया जाता है तो पार्टी नष्ट और टूट जाएगी।’

बैठक से पहले कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा, ‘श्रीमती सोनिया गांधी के नेतृत्व पर कोई भी सुझाव या आक्षेप बेतुका है। मैं श्रीमती सोनिया गांधी से अपील करता हूं कि वे अध्यक्ष के रूप में कांग्रेस पार्टी को मजबूती प्रदान करें और कांग्रेस का नेतृत्व करती रहें।’

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मध्यप्रदेश के मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर जारी खींचतान पर तंज कसते हुए कहा, कांग्रेस में कई योग्य उम्मीदवार हैं (पार्टी अध्यक्ष के पद के लिए) जैसे राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, रेहान वाड्रा और मिराया वाड्रा। कांग्रेस सदस्यों को यह समझना चाहिए कि कांग्रेस उस स्कूल की तरह है जहां केवल हेडमास्टर का बच्चा ही सबसे ऊपर पहुंचता है।

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