बीमार या लंबे समय से घाटे में चल रही सरकारी कंपनियों को जल्द से जल्द बंद करने के लिए सरकार नई गाइडलाइंस ला सकती है। जानकारी के मुताबिक इस गाइडलाइंस में जमीन बेचने की जिम्मेदारी एनबीसीसी जैसी एजेंसी को नहीं देने का प्रावधान किया जा सकता है।
बता दें कि वित्त राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने संसद में एक लिखित उत्तर में उन्होंने बताया था कि कि नीति आयोग ने सरकारी कंपनियों के विनिवेश के लिए कुछ शर्तें तय की हैं। इसके आधार पर सरकार ने 2016 से 34 कंपनियों में रणनीतिक विनिवेश को मंजूरी दी है।
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बीमार कंपनियां जल्द होंगी बंद- बीमार या लंबे समय से घाटे में चल रही सरकारी कंपनियों को बंद करने के लिए नई गाइडलाइन जल्द जारी हो सकती है। जिन कंपनियों पर फैसला हो चुका है उन्हें 9 महीने के भीतर बंद करने का प्रस्ताव है। नए मामले में कैबिनेट के फैसले के 12 महीने के भीतर बंद करने की प्रक्रिया पूरी करने का प्रस्ताव है। बंद करने से पहले जमीन या दूसरी संपत्ति बाजार में बेचना जरूरी नहीं होगा। NBCC या दूसरी Land Management Agency नियुक्त करना जरूरी नहीं होगा। जिस विभाग या सरकार की कंपनी होगी जमीन सर्कल रेट पर उसे सौंप दी जाएगी।
6 कंपनियों को बंद करने की तैयारी- अनुराग सिंह ठाकुर ने संसद में बताया था कि 6 कंपनियों को बंद करने पर विचार किया जा रहा है और बाकी 20 में प्रक्रिया विभिन्न चरणों में है। जिन कंपनियों को बंद करने पर विचार किया जा रहा है उनमें हिंदुस्तान फ्लोरोकार्बन लिमिटेड (HFL), स्कूटर्स इंडिया, भारत पंप्स एंड कम्प्रेसर्स लिमिटेड, हिंदुस्तान प्रीफैब, हिंदुस्तान न्यूजप्रिंट और कर्नाटक एंड फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड शामिल हैं. साथ ही, एलॉय स्टील प्लांट, दुर्गापुर, सेलम स्टील प्लांट, सेल की भद्रावती यूनिट, पवन हंस, एयर इंडिया और इसकी पांच सहायक कंपनियों तथा एक संयुक्त उपक्रम में रणनीतिक बिक्री की प्रक्रिया जारी है।
एचएलएल लाइफ केयर लिमिटेड, इंडियन मेडिसिन एंड फार्मास्यूटिक्ल कॉरपोरेशन लिमिटेड, आईटीडीसी की विभिन्न यूनिट्स, हिंदुस्तान एंटीबायोटिक्स, बंगाल केमिकल्स एंड फार्मास्यूटिकल्स, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड, शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड में भी स्ट्रेटजिक सेल होगी।