सिद्धार्थनगर। लुम्बिनी बौद्ध विश्वविद्यालय, लुंबिनी नेपाल में चल रही दो दिवसीय के प्रथम दिन “डिप्लोमेसी एंड बुद्धाज टीचिंग: ए पाथ टू ग्लोबल पीस एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट” सिम्पोजियम के उद्घाटन समारोह के दौरान सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु उत्तर प्रदेश भारत और साउथ एशिया फाउंडेशन नेपाल के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु की कुलपति प्रो. कविता शाह और साउथ एशिया फाउंडेशन मानद महासचिव राहुल बरुआ द्वारा हस्ताक्षरित किया गया। इस साझेदारी के अंतर्गत साउथ एशिया सेंटर फॉर पीस रिसर्च एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट की स्थापना की जाएगी, जो शांति, बौद्ध अध्ययन एवं सतत विकास पर संयुक्त अनुसंधान एवं शैक्षणिक कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करेगा। यह पहल वैश्विक शांति और विकास के लिए बौद्ध शिक्षाओं की प्रासंगिकता को रेखांकित करते हुए, अंतरराष्ट्रीय सहयोग को नया आयाम प्रदान करेगी। इस अवसर पर प्रो. कविता शाह ने कहा कि बुद्ध की शिक्षाएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं, जितनी दो सहस्राब्दी पहले थीं। इस एमओयू के माध्यम से हमारा उद्देश्य इन्हें वैश्विक शांति एवं टिकाऊ विकास के संदर्भ में पुनः स्थापित करना है। विश्वविद्यालय के नैक समन्वयक प्रो सौरभ ने कहा कि इस साझेदारी का उद्देश्य दक्षिण एशियाई क्षेत्र में बौद्ध दर्शन, शांति अध्ययन एवं सतत विकास के क्षेत्र में सहयोगात्मक शोध कार्यों को गति देना है। यह केंद्र छात्र, शोधार्थियों, शिक्षाविदों और नीति निर्माताओं को एक साझा मंच प्रदान करेगा, जिससे अंतरराष्ट्रीय सहयोग और सांस्कृतिक संवाद को बल मिलेगा। इस कार्यक्रम में नेपाल, भारत सहित कई दक्षिण एशियाई देशों के बौद्ध विद्वानों, शोधकर्ताओं एवं विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।