मुंबई का सिद्धिविनायक मंदिर, ऐसे बहुत कम ही लोग होंगे जिन्होंने जो इस भव्य मंदिर का नाम नहीं सुना होंगा। गणेश जी का ये मंदिर दरअसल देश के सबसे व्यस्ततम धार्मिक स्थलों में आता है। कहते हैं कि कोई भी अगर अपनी फरियाद लेकर यहां भक्तिभाव से आता है तो बप्पा उसकी इच्छा पूर्ति कर देते हैं।
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1. क्यों कहा जाता है इसे सिद्धि विनायक
सिद्धिविनायक दरअसल भगवान गणेश का सबसे प्रसिद्ध रूप है। इस रूप में भगवान की सूंड दाईं तरफ मुड़ी है। गणेश की ऐसी प्रतिमा वाले मंदिर सिद्धपीठ कहलाते हैं।
2. भव्य है चतुर्भुज विग्रह वाली ये मूर्ति
सिद्धिविनायक की दूसरी खास बात चतुर्भुजी विग्रह है। उनके ऊपरी दाएं हाथ में कमल और बाएं हाथ में अंकुश है और नीचे के दाहिने हाथ में मोतियों की माला और बाएं हाथ में मोदक भरा कटोरा है।
3. इन्हें नवसाचा गणपति भी कहते हैं
मराठी भाषा में भगवान के इस रूप को नवसाचा नाम से संबोधित किया जाता है। जिसका अर्थ है कि कोई भी भक्त सिद्धीविनायक की सच्चे मन से प्रार्थना करे तो बप्पा उसकी मनोकामना पूरी करते हैं।
4. ये रहा इतिहास
इस मंदिर का निर्माण 19 नवंबर 1801 को एक लक्ष्मण विथु पाटिल नाम के ठेकेदार ने करावाया था। यह भी कहा जाता है कि इस मंदिर के निर्माण में लगने वाला धन एक कृषक महिला ने दी थी जिसका कोई बच्चा नहीं था। कहा जाता है कि वो इस मंदिर को बनवाने में मदद करना चाहती थी जिससे भगवान के आशीर्वाद से कोई भी महिला बांझ न हो।