लखनऊ। सहकारिता भर्ती घोटाले में एसआईटी जांच पूरी होने के बाद अब शीघ्र आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई होना तय है। माना जा रहा है इस संबंध में शीघ्र ही शासन से हरी झण्डी मिल जाएगी। एसआईटी ने इस मामले में कई अधिकारियों को दोषी माना है, जिनके खिलाफ एफआईआर के लिए शासन से अनुमति मांगी गई है। एसआईटी ने सरकार के आदेश पर अप्रैल 2018 में इस भर्ती घोटाले की जांच शुरू की थी।
दरअसल, सहकारिता विभाग में 2012 से 2017 के बीच विभिन्न संस्थाओं में 2324 पदों नियुक्तियां की गई थीं। एसआईटी ने सबसे पहले उत्तर प्रदेश सहकारी बैंक लिमिटेड में सहायक प्रबंधक के 50 पदों पर हुई भर्तियों की जांच पूरी की थी।
शासन की मंजूरी मिलने के बाद एसआईटी ने उत्तर प्रदेश सहकारी संस्थागत सेवा मंडल के तत्कालीन अध्यक्ष राम जतन यादव समेत कई अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। सरकार ने बाकी भर्तियों की जांच एक माह में पूरी करने के निर्देश एसआईटी को दिए थे।
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सूत्रों के अनुसार एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में सहकारी ग्राम विकास बैंक, राज्य भंडारण निगम, पीसीएफ व यूपी कोआॅपरेटिव यूनियन जैसी संस्थाओं में हुई भर्तियों अनियमितता पाई है। जिसके बाद शासन से संबंधित अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुमति मांगी गई है।
माना जा रहा है कि शासन दो-तीन दिन में इस मामले में आरोपियों के विरूद्ध एफआईआर दर्ज करने के लिए हरी झण्डी दे देगा और रिपोर्ट दर्ज होते ही आरोपियों की गिरफ्तारियां की जाएगी।