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संतान के सुखी जीवन के लिए रखे स्कंद षष्ठी व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Skanda Shashthi

Skanda Shashthi

हर माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी (Skand Shashthi) व्रत रखा जाता है. इस माह में ज्येष्ठ शुक्ल षष्ठी को यह व्रत रखा जाएगा. जून में स्कंद षष्ठी (Skand Shashthi) व्रत 05 जून दिन रविवार को है. संतान की उन्नति और उसके सुखी जीवन के लिए स्कंद षष्ठी व्रत रखा जाता है.

इस दिन भगवान शिव के बड़े पुत्र कार्तिकेय की विधि विधान से पूजा करते हैं. इनका एक नाम स्कंद कुमार भी है, इनके नाम से नौ देवियों में से एक स्कंदमाता देवी हैं, जिनके ये पुत्र हैं. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं स्कंद षष्ठी की तिथि, पूजा मुहूर्त और उपाय के बारे में.

स्कंद षष्ठी (Skand Shashthi) तिथि

पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि का प्रारंभ 05 जून दिन रविवार को प्रात: 04 बजकर 52 मिनट पर हो रहा है. यह तिथि 06 जून सोमवार को प्रात: 06 बजकर 39 मिनट पर समाप्त हो जाएगी. उदयातिथि को आधार मानकर 05 जून को स्कंद षष्ठी व्रत रखा जाएगा.

स्कंद षष्ठी (Skand Shashthi) पूजा मुहूर्त

स्कंद षष्ठी के दिन रवि योग प्रात: 05 बजकर 23 मिनट से प्रारंभ होकर देर रात 12 बजकर 25 मिनट तक रहेगा. ऐसे में आप स्कंद षष्ठी व्रत की पूजा प्रात:काल से कर सकते हैं.

इस दिन का शुभ समय 11 बजकर 52 मिनट से दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक है. इस दिन राहुकाल शाम 05 बजकर 32 मिनट से शाम 07 बजकर 16 मिनट तक है.

स्कंद षष्ठी (Skand Shashthi) पूजा और उपाय

स्कंद षष्ठी को भगवान कार्तिकेय को फूल, फल, अक्षत्, धूप, दीप, गंध, लाल चंदन, मोर पंख आदि अर्पित करते हुए पूजा करें. फिर षष्ठी स्तोत्र का पाठ करें. ऐसा करने से संतान संकटों में भी सफलता प्राप्त करती है. उसे जीवन में तरक्की और उन्नति मिलती है.

भगवान कार्तिकेय को मोर पंख अर्पित करने से वे प्रसन्न होते हैं क्योंकि उनका प्रिय वाहन मोर है. इस दिन मोर की पूजा करने से भी संतान पर आए संकट दूर होते हैं.

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