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स्कंद षष्ठी व्रत आज, जानें पूजा विधि से पारण तक पूरी जानकारी

Skanda Shashthi

Skanda Shashthi

हिन्दू धर्म में स्कंद षष्ठी (Skanda Shashthi) का व्रत हर साल बड़े ही उत्साह से मनाया जाता है. इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती के छठे पुत्र भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. कुछ क्षेत्रों में इस तिथि को स्कन्द षष्ठी के रूप में भी मनाया जाता है. इस षष्ठी को सूर्यदेव की उपासना का भी दिन माना जाता है. इस दिन सूर्यदेव की पूजा करने से लोगों को रोगों से मुक्ति, आरोग्य और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है. जीवन में खुशियों के आगमन के लिए व्रत करने का विधान है. स्कंद षष्ठी के पर्व को कुमार षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है.

मान्यताओं के अनुसार, भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से सुख-समृद्धि, सौभाग्य और सफलता की प्राप्ति होती है. भगवान शिव और माता पार्वती के बड़े पुत्र भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से लोगों को सभी प्रकार से रोगों से मुक्ति मिलती है. इस दिन पूजा के दौरान स्कंद षष्ठी की व्रत कथा भी पढ़ी जाती है. जिसको सुनने या पढ़ने से मन को शांति मिलती है.

स्कंद षष्ठी (Skanda Shashthi) तिथि

पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि की शुरुआत 08 सितंबर को रात 07 बजकर 58 मिनट पर होगी. वहीं, इस तिथि का समापन 09 सितंबर को रात 09 बजकर 53 मिनट पर होगा. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, स्कंद षष्ठी का पर्व 09 सितंबर को मनाया जाएगा.

स्कंद षष्ठी (Skanda Shashthi) पूजा विधि

– स्कंद षष्ठी के दिन सुबह जल्दी उठकर शुद्ध जल से स्नान करके साफ कपड़े पहनें.
– एक साफ स्थान पर भगवान कार्तिकेय की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करें.
– मूर्ति के सामने एक चौकी या पलंग पर लाल कपड़ा बिछाएं.
– मूर्ति के सामने घी का दीपक जलाएं और अगरबत्ती या धूप जलाएं.
– भगवान कार्तिकेय को फल और फूल चढ़ाएं. विशेषकर कमल का फूल चढ़ाना शुभ माना जाता है.
– भगवान कार्तिकेय की मूर्ति पर रोली का तिलक लगाएं.
– भगवान कार्तिकेय को प्रसाद चढ़ाएं, प्रसाद में आप मोदक, फल, दूध आदि चढ़ा सकते हैं.
– पूजन के बाद स्कंद षष्ठी पर भगवान कार्तिकेय की कथा पढ़ें या सुनें.
– पूजा के अंत में भगवान कार्तिकेय की आरती करें और प्रसाद ग्रहण करें.

स्कंद षष्ठी (Skanda Shashthi) के दिन क्या दान करें

फल: फल दान करने से स्वास्थ्य लाभ होता है और देवता प्रसन्न होते हैं.
दूध: दूध दान करने से ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि होती है.
दही: दही दान करने से आयु और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है.
अनाज: गरीबों को अनाज दान करने से अन्नपूर्णा की कृपा प्राप्त होती है.
वस्त्र: जरूरतमंदों को वस्त्र दान करने से पापों का नाश होता है.
धन: धन दान करने से धन में वृद्धि होती है.
ब्राह्मणों को भोजन: ब्राह्मणों को भोजन कराने से पितृ दोष दूर होता है.

स्कंद षष्ठी (Skanda Shashthi) व्रत कथा

पौराणिक कथाों के अनुसार, राजा दक्ष के यज्ञ में माता सती के भस्म होने के बाद भगवान शिव वैरागी हो गए और वे तपस्या में लीन हो गए, जिससे सृष्टि शक्तिहीन हो गई थी. इसके बाद दैत्य तारकासुर ने देवलोक में अपना आतंक फैला दिया और देवताओं की पराजय हुई. धरती हो या स्वर्ग सब जगह अन्याय और अनीति का बोलबाला हो गया. इससे देवताओं ने तारकासुर के अंत के लिए ब्रह्माजी से प्रार्थना की. इस पर ब्रह्माजी ने बताया कि शिव पुत्र ही तारकासुर का अंत कर सकेगा.

तब सभी देवताओं और इंद्र ने शिवजी को समाधि से जगाने का प्रयत्न किया और इसके लिए उन्होंने भगवान कामदेव की भी मदद ली थी. कामदेव अपने बाण से शिव पर फूल फेंकते हैं, जिससे उनके मन में माता पार्वती के लिए प्रेम की भावना विकसित हो. इससे शिवजी की तपस्या भंग हो जाती हैं और वे क्रोध में आकर अपनी तीसरी आंख खोल देते हैं. इससे कामदेव भस्म हो जाते हैं. तपस्या भंग होने के बाद वे माता पार्वती की तरफ खुद को आकर्षित पाते हैं.

जब इंद्र और अन्य देवता भगवान शिव को अपनी समस्या बताते हैं. तब भगवान शिव पार्वती के अनुराग की परीक्षा लेते हैं, पार्वती की तपस्या के बाद शुभ घड़ी में शिव पार्वती का विवाह होता है. इसके बाद कार्तिकेय का जन्म होता है और सही समय पर कार्तिकेय तारकासुर का वध कर देवताओं को उनका स्थान दिलाते हैं. मान्यता है कि कार्तिकेय का जन्म षष्ठी तिथि पर हुआ था, इसलिए षष्ठी तिथि पर कार्तिकेय की पूजा की जाती है.

स्कंद षष्ठी (Skanda Shashthi) व्रत के लाभ

– जो लोग संतानहीन हैं, उनको स्कंद षष्ठी का व्रत रखकर भगवान कार्तिकेय की पूजा करनी चाहिए. उनके आशीर्वाद से संतान की प्राप्ति हो सकती है. यदि आपके जीवन में धन और वैभव की कमी है तो आपको भी स्कंद षष्ठी का व्रत रखना चाहिए. आप पर माता लक्ष्मी की कृपा होगी.
स्कंद कुमार के साथ भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है. इस बार स्कंद षष्ठी सोमवार को है और सोमवार का दिन भोलेनाथ की पूजा के लिए समर्पित है.
– स्कंद षष्ठी पर भगवान शिव और स्कंद कुमार यानि पिता-पुत्र की पूजा का सुंदर संयोग बना है. दोनों की साथ में पूजा करने से आपके कार्य सफल होंगे और जीवन में सुख और समृद्धि आ सकती है.
– संतान की लंबी आयु और शत्रुओं को पराजित करने के लिए भी स्कंद षष्ठी का व्रत रखा जाता है.

स्कंद षष्ठी (Skanda Shashthi) के व्रत में क्या खाएं

फल: सभी प्रकार के फल जैसे केला, सेब, अंगूर आदि खा सकते हैं.
दूध और दही: दूध और दही का सेवन किया जा सकता है.
सूखा फल: बादाम, काजू, किशमिश आदि सूखा फल खा सकते हैं.
कूटू का आटा: कूटू के आटे से बना भोजन जैसे कि पूरी, पराठा आदि खा सकते हैं.
सेंवई: सेंवई को दूध या दही के साथ खा सकते हैं.

स्कंद षष्ठी (Skanda Shashthi) के व्रत में क्या न खाएं

अनाज: चावल, गेहूं, मक्का आदि अनाज का सेवन नहीं करें.
मांस: मांस, मछली, अंडे आदि का सेवन न करें.
प्याज और लहसुन: प्याज और लहसुन का सेवन न करें.
तली हुई चीजें: तली हुई चीजें जैसे कि समोसे, पकौड़े आदि न खाएं.
मिठाई: मिठाई का सेवन सीमित मात्रा में करें.

स्कंद षष्ठी (Skanda Shashthi) व्रत पारण

जो लोग स्कंद षष्ठी का व्रत रखते है उन्हें अगले दिन सूर्योदय के बाद ही पारण करके व्रत को समाप्त करना उत्तम होता है. क्योंकि बिना पारण के स्कंद षष्ठी का व्रत अधूरा माना जाता है. इस बात का खास ध्यान रखें कि व्रत रखने वाले लोग पारण से पहले स्नान करें. फिर ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान करें. इसके बाद व्रत का पारण करके व्रत खोल सकते हैं.

स्कंद षष्ठी (Skanda Shashthi) का महत्व

स्कंद षष्ठी के दिन विधि-विधान से व्रत और पूजा करने से भगवान कार्तिकेय की विशेष कृपा प्राप्त होती है और यह व्रत लोगों को शनि दोष से भी मुक्ति दिलाता है. इसके अलावा इस व्रत को करने से संतान प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है. इस दिन इस दिन श्रद्धा अनुसार गरीब लोगों में विशेष चीजों का दान करना फलदायी साबित होता है.

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