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ज्यादा देर सोने से याददाश्त पर पड़ता है बुरा असर, दिमाग में हो जाते हैं जख्म

पिछले कई अध्ययनों में अल्जाइमर की बीमारी को नींद की कमी से जुड़ा हुआ पाया गया, लेकिन एक नए शोध में दावा किया गया है कि ज्यादा देर तक आंख बंद रहने या ज्यादा नींद लेने से याद्दाश्त पर बुरा असर पड़ता है।

शोध के दौरान वैज्ञानिकों ने पाया की जो व्यक्ति नौ घंटे या उससे अधिक की नींद लेते हैं उनकी याद्दाश्त और भाषा कौशल में महत्वपूर्ण गिरावट देखने को मिली। इसके साथ ही उन लोगों में भी खतरा देखने को मिला, जो छह घंटे की नींद लेते हैं।

शोध के बाद वैज्ञानिकों ने दावा किया कि सात या आठ घंटे की नींद लेना सबसे बेहतर है और इससे इन खतरों को टाला जा सकता है। हालांकि, शोधकर्ता इस बात को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त नहीं थे कि ज्यादा सोना अवसाद के खतरे को बढ़ा सकता है, लेकिन उनका कहना था कि यदि व्यक्ति के मस्तिष्क में किसी प्रकार का व्यावधान या रोग हो, तो उसे नींद ज्यादा आती है।

इसके लिए मिआमी मिलर स्कूल यूनिवर्सिटी की टीम ने सात वर्षों तक करीब 5,247 स्पेन के लोगों पर अध्ययन किया। इसमें शामिल होने वाले प्रतिभागी 45 से 75 वर्ष की उम्र के और अलग-अलग समुदाय के थे। इसमें शिकागो, मिआमी, सेनडिआगो, न्यूयॉर्क के लैटिनो शामिल थे।

इस अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने प्रतिभागितयों के ध्यान, याददशत, भाषा के साथ-साथ मस्तिष्क स्वास्थ्य और उसमें होने वाले बदलावों का निरीक्षण किया।

वैज्ञानिकों के अनुसार ज्यादा सोने से दिमाग में जख्म हो जाता है, जिसे व्हाइट मैटर हाइपर इंटेंसिटी भी कहा जाता है। इन जख्मों के चलते दिमाग में रक्त प्रवाह भी प्रभावित होता है। एमआरआई में दिखाई देने वाले ये सफेद घब्बे अवसाद और स्ट्रोक के खतरे को बढ़ाते हैं।

यूनिवर्सिटी ऑफ मिआमी के न्यूरोलॉजिस्ट और नींद के विशेषज्ञ डॉक्टर रामोस ने कहा कि अल्पनिद्रा और अधिक नींद लेने का सीधा संबंध व्यक्ति के तंत्रिका संबंधी रोग से है, जो अल्जाइमर और अवसाद के लिए जिम्मेदार होता है।

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